केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, पंजाब के एक जवान की ड्यूटी के दौरान मौत होने के बावजूद उसकी पार्थिव देह को उसके घर प्राइवेट एंबुलेंस में पहुंचाया गया। सेना ने उसे सलामी भी नहीं दी।
इस पर पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा- अग्निवीर बनाए ही इसलिए गए हैं ताकि उन्हें शहीद का दर्जा न दिया जाए। वहीं पंजाब के किसान नेता ने भी पूछा कि अमृतपाल को अंतिम विदाई में कोई सम्मान नहीं मिला, क्या अग्निवीर फौजी नहीं हैं?
पंजाब के मानसा के 19 साल के जवान अमृतपाल सिंह का बुधवार को जम्मू-कश्मीर में माथे पर गोली लगने से निधन हो गया था। शुक्रवार को उनकी पार्थिव देह पैतृक गांव कोटली कलां लाई गई। जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उन्हें किसी तरह का सैन्य सम्मान नहीं मिला।
LoC के पास थी अमृतपाल की ड्यूटी, वहीं गोली लगी
अमृतपाल सिंह की ड्यूटी पुंछ जिले के मेंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में LoC के पास थी। ड्यूटी के दौरान उनके माथे पर गोली लगी। अमृतपाल को गोली लगने से 2 दिन पहले ही सेना ने 2 आतंकियों को मारा था। शुरुआती जांच में यही माना जा रहा है कि अमृतपाल को आतंकियों की गोली लगी थी।

2 फौजी प्राइवेट एंबुलेंस में अग्निवीर का शव लाए
अमृतपाल के निधन के बाद उनकी पार्थिव देह सेना के वाहन के बजाय प्राइवेट एंबुलेंस में लाई गई। यहां सेना के 2 जवान शव को छोड़ने के लिए आए थे। अमृतपाल का शव छोड़ने के बाद वह वहीं से चले गए। परिवार ने उनसे पूछा कि अमृतपाल को कोई सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा? इस पर उनका कहना था कि अग्निवीर स्कीम के तहत भर्ती फौजी को शहीद का दर्जा नहीं है, इसलिए सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा।