Friday, October 24, 2025

ज्येष्ठ (जेठ) मास में कैसा रहे खान-पान कैसी रहे दिनचर्या इस विषय पर जानकरी दी छत्तीसगढ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने

हिंदी मासानुसार ज्येष्ठ माह का आरंभ 13 मई 2025 मंगलवार से हो गया है। जो 11 जून 2025 बुधवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है। यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी ज्येष्ठ (जेठ) मास का आरम्भ 13 मई 2025 मंगलवार से हो चुका है जो 11 जून 2025 बुधवार तक रहेगा। इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) माह में सूर्य अत्यधिक गर्म रहता है जो अपनी किरणों से धरती की शीतलता को सोख लेता है। जिसके कारण न केवल वातावरण मे बल्कि हमारे शरीर मे भी जल का स्तर गिरने लगता है। इसलिये ज्येष्ठ माह मे जल का सही और पर्याप्त मात्रा में प्रयोग करना चाहिये।अतः हमे जल संरक्षण के उपाय करने के साथ-साथ अपने शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिये शीतल जल (मटके अथवा सुराही का) का पर्याप्त मात्रा मे सेवन करना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) माह मे गर्मी अधिक होने के कारण सन स्ट्रोक (लू) लगने तथा ज्येष्ठ (जेठ) मास मे हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाने के कारण खान-पान से संबंधित रोग जैसे अतिसार, उदरशूल, ज्वर, कास आदि रोग होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में इस माह में धूप से बचाव के साथ-साथ अत्यधिक गरिष्ठ, मसालेदार भोजन और लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिये। साथ ही ज्येष्ठ मास में बैंगन का सेवन भी नहीं करना चाहिये, इससे स्वास्थ पर दुष्प्रभाव पड़ने के साथ गंभीर वात रोग की होने की संभावना बनती है। ज्येष्ठ (जेठ) माह में सुबह का पहला भोजन जल्दी लेना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) मास मे मधुर रस युक्त भोज्य पदार्थ एवं बेल का सेवन अत्यधिक लाभकारी है। ज्येष्ठ (जेठ) के माह में दोपहर भोजन के पश्चात कुछ देर विश्राम करना लाभकारी होता है। ज्येष्ठ (जेठ) मास में दिन बड़े होने के कारण रात्रि भोजन से भी बचना चाहिए। सूर्याेदय से सूर्यास्त के मध्य भोजन कर लेना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) माह में भोजन के विषय में महाभारत में कहा गया है कि
“ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।”
अर्थात- ज्येष्ठ मास में दिन में एक ही समय भोजन करना चाहिये इससे व्यक्ति निरोगी रहता है।

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