सुजाता चक्रवर्ती बकावण्ड/जगदलपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य देश के हर गरीब परिवार को छत मुहैया कराना है, लेकिन बस्तर जिले के बकावण्ड विकासखंड अंतर्गत सवरा पंचायत में इस योजना को पलीता लगाने का मामला सामने आया है।
ग्राम सवरा की रहने वाली वृद्धा कमला बघेल पति जगबंधु, जिनका आवास वर्ष 2017-18 में स्वीकृत हुआ था (आवास क्रमांक CH1350627), आज तक टूटे-फूटे कच्चे घर में रहने को मजबूर हैं। सरकारी रिकॉर्ड में आवास स्वीकृत हो चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उनका घर कभी बना ही नहीं।
कमला बघेल का आरोप है कि जब उन्होंने पूर्व सरपंच रवि और तत्कालीन सचिव श्यामलाल से इस बारे में सवाल किया, तो झूठा आश्वासन देकर उन्हें चुप करा दिया गया। कई वर्षों तक इंतजार करने के बाद जब उन्होंने कार्यपालन अभियंता से लिखित शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कमला बघेल के नाम स्वीकृत आवास किसी और – ‘कमला सोनवानी’ – के नाम पर बना दिया गया। यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है कि आखिर एक गरीब वृद्धा का हक कोई और कैसे ले सकता है, और जिम्मेदार अधिकारी अब तक चुप क्यों हैं?
यह मामला प्रधानमंत्री आवास योजना में स्थानीय स्तर पर गड़बड़ी, लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार को उजागर करता है। ग्राम पंचायत प्रतिनिधि जिन्हें विकास का जिम्मा सौंपा गया है, वे ही इस तरह गरीबों के अधिकारों को छीनने में संलिप्त बताए जा रहे हैं।