भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल की राष्ट्रीय कार्यकारणी एवं गवर्निंग बॉडी की एक बैठक कॉसिटीटयूूशन क्लब नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमे 17 प्रदेश के लगभग 90 पदाधिकारियों के साथ छ.ग. के प्रदेशाध्यक्ष एवं गवर्निग बॉडी के सदस्य अशोक मोदी की गरिमामय उपस्थिति थी ।
बैठक में व्यापारियों की समस्याओ जैसे केन्द्र व राज्य सरकारो द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से दिए जाने वाले राशन के कारण बाजार पर पड़ने वाले भाव, ऑनलाइन व्यापार, केन्द्रीय माल एवं सेवाकर की लिमिट 10 करोड़ की जगह 5 करोड़ करने जैसी समस्याओं और उनके निदान पर गंभीरता से चर्चा की गई, जिसमे मुख्य रूप से एम.एस.एम.ई के 43 बी एच कानून पर चर्चा हुई, जिसका पूरे भारत से आए व्यापारी नेता व भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के कार्यकारणी सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए इस 43 बी एच कानून को वापस लिये जाने पर विस्तृत चर्चा हुई
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता ने अपने संबोधन में 43 बी एच कानून पर विरोध प्रगट किया साथ ही व्यापारी कल्याण बोर्ड को और अधिक पॉवर व फंड देने के साथ साथ व्यापारियो से संबंधित फेंसलो में सरकार को सलाह लेने की बात पर जोर दिया।
अशोक मोदी ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि भारतीय उद्योग व्यापार मंडल देश के व्यापारियों की मांगो को ध्यान रखते हुए एक मांग पत्र तैयार करेगी एवं इस मांग पत्र को सभी बडे बडे मंत्रियों के साथ साथ सांसदो को देने की तैयारियॉ की जा रही है जिसमें विशेषकरः-
1. लोक अदालत की तरह ही व्यापारिक अदालत बनाने की मांग की जा रही है ताकि व्यापारियों के केस में भी फैसला 2-3 माह के भीतर हो सके।
2. जी.एस.टी विभाग द्वारा अकारण ही टेªडर्स को भेजे जा रहे नोटिस को बंद करने हेतु।
3. ऑडिट के नाम पर मार्केट पर जो सर्वे किया जा रहा हे उससे टेडर्स परेशान किया जा रहा है उसे बंद करने हेतु
4. प्रत्येक वर्ष भरे जाने वाले फूड सेफ्टी लाईसेंस को वन टाईम किये जाने हेतु ।
5. व्यापार में कौन कितने दिनों में पैसा देगा, कौन कितना उधार देगा इत्यादि जैसे व्यापारी के आंतरिक मामलों में सरकार की दखलंदाजी बंद किये जाने हेतु।
राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि जो राजनैतिक दल व्यापारियों के मांग पत्र को अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगा, व्यापारी उसी का समर्थन करेगा।
भारतीय उद्वोग व्यापार मंडल के बैठक में सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया कि 25 मार्च 2024 तक केन्द्र सरकार व्यापारियों के सभी समस्याओं का समाधान करें अन्यथा 5 अप्रेल के पश्चात व्यापारी उग्र आंदोलन हेतु बाध्य होगा।