कोरबा, 26 नवंबर। एसईसीएल दीपका क्षेत्र की विस्तार परियोजना के लिए अधिग्रहित मलगांव की भूमि में मुआवजा वितरण को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। सीबीआई रायपुर की जांच में करोड़ों रुपये के अतिरिक्त भुगतान और कागजातों में अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। जांच में दोषी पाए जाने पर खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में एसईसीएल के कुछ अज्ञात अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई है।
शिकायतों के आधार पर शुरू हुई जांच
सीबीआई को इस घोटाले से जुड़ी पहली शिकायत 12 दिसंबर 2023 को मिली थी। इसके बाद 11 जनवरी 2024 और 29 मई 2024 को भी शिकायतें दर्ज कराई गईं। इनमें आशीष कश्यप और सुआभोड़ी निवासी लोकेश कुमार के नाम शामिल थे। शिकायतों को गंभीर मानते हुए सीबीआई की टीम ने जांच शुरू की और मामले से जुड़े कई स्थानों पर छापेमारी की।
जांच में 3.43 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त भुगतान उजागर
सीबीआई की जांच रिपोर्ट के अनुसार मुआवजा वितरण में 3.43 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितता पाई गई है। इसमें खुशाल जायसवाल को 1.60 करोड़ रुपये से ज्यादा और राजेश जायसवाल को 1.83 करोड़ रुपये से अधिक की राशि गलत तरीके से दी गई।
जांच में यह भी सामने आया कि दोनों आरोपियों ने ऐसे मकानों, संरचनाओं और जमीनों के नाम पर भी मुआवजा लिया जिन पर न तो उनका स्वामित्व था और न ही वे वहां निवासरत थे।
निवास की शर्त भी पूरी नहीं की गई
नियमों के अनुसार मुआवजा उसी व्यक्ति को मिल सकता है जो कम से कम 5 वर्ष परियोजना क्षेत्र में निवासरत हो। लेकिन सीबीआई ने पाया कि आरोपियों ने इस शर्त को पूरा नहीं किया।

