Tuesday, July 8, 2025

सनातन धर्म मामले में SC से दखल की मांग:उदयनिधि के बयान पर 14 जज, 130 ब्यूरोक्रेट्स और 118 रिटायर्ड सैन्य अफसरों ने लिखी चिट्‌ठी

सनातन धर्म को बीमारी बताने वाले तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ 262 शख्सियतों ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्‌ठी लिखी है। इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से खुद दखल देने की मांग की है।

इनमें 14 जज, 130 ब्यूरोक्रेट्स और सेना के 118 रिटायर्ड अफसर शामिल हैं। इन्होंने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ स्टालिन पर कोई एक्शन ना लेने के लिए कार्रवाई करने की मांग की है।

इन लोगों में तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के श्रीधर राव, पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी और राज्यसभा के पूर्व महासचिव IAS योगेंद्र नारायण, भारत सरकार के पूर्व सेक्रेटरी IAS समीरेंद्र चटर्जी और IAS धनेंद्र कुमार, पूर्व रॉ चीफ IPS संजीव त्रिपाठी भी शामिल हैं।

उदयनिधि ने 2 सितंबर को सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से की। उन्होंने कहा- मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। सनातन धर्म भी ऐसा ही है।

हाईकोर्ट के जज रह चुके एसएन ढींगरा और गोपाल कृष्ण ने शुरू की पहल
लेटर लिखने की पहल दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा और शिपिंग सेक्रेटरी गोपाल कृष्ण ने की थी। इन्होंने हेटस्पीच रोकने और शांति-व्यवस्था संभालने के लिए विचार करने की मांग भी की है। लेटर में लिखा गया कि उदयनिधि स्टालिन ने भारत के एक बड़े हिस्से के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण दिया है।

संविधान में भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसलिए यह बयान सीधे तौर पर संविधान के खिलाफ है। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने स्टालिन के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया बल्कि उन्हें बचाने की कोशिश की। यह कानून का उल्लंघन है।

2021 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नफरत फैलाने वाले भाषण या बयान पर तुरंत एक्शन लेने का ऑर्डर दिया था। लेटर में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हवाला दिया और लिखा कि तमिलनाडु सरकार ने एक्शन लेने में देरी की, यह सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।

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