छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण के केस में राज्य सरकार को राहत नहीं मिल पाई है। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार द्वारा आरक्षण पर लगी रोक के आदेश में संशोधन या फिर उसे रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया है। जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एन.के. चंद्रवंशी की बेंच में चल रही है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने शासन की मांग पर फैसला सुरक्षित रखा था।
राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर 2019 को प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। रायपुर के एस. संतोष कुमार ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए जनहित याचिका प्रस्तुत की है। राज्य शासन के प्रमोशन पर आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में पहली जनहित याचिका दायर करके कहा गया है कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आरक्षण नियम के विपरीत है। साथ ही राज्य शासन द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई है।
इस नोटिफिकेशन तहत प्रथम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की बात कही गई थी। इसमें अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, जबकि अनुसूचित जन जाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया था कि यह आरक्षण प्रथम श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर पदोन्नति होने, द्वितीय श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति और तृतीय श्रेणी के पदों पर पदोन्नत होने पर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने अधिसूचना पर लगाई है रोक
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। 2 दिसंबर 2019 को शासन की तरफ से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने अधिसूचना तैयार करने में गलती होना स्वीकार किया था। इस गलती को सुधार करने के लिए कोर्ट ने एक सप्ताह का समय दिया था। इस पर कोई खास अमल नहीं होने पर तात्कालीन चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अधिसूचना पर रोक लगा दी थी, और सरकार को नियमानुसार दो माह में फिर से नियम बनाने के आदेश दिया था।
राज्य सरकार ने आरक्षण पर रोक हटाने की थी मांग
इस याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आरक्षण नियम के विपरीत है। इस बीच राज्य शासन के साथ ही अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों को हस्तक्षेप करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें मांग की गई थी कि पदोन्नति में आरक्षण रुके होने के कारण SC ST के कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। लिहाजा,आरक्षण पर लगी रोक के आदेश में संशोधन या फिर उसे रद्द की जाए। ताकि, प्रमोशन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके। पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर अब फैसला आया है। इसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राहत नहीं दी है और शासन की मांग को खारिज कर दिया है।