Sunday, July 6, 2025

कंचनजंघा हादसे के लिए कौन जिम्मेदार? जांच रिपोर्ट में सामने आया नाम, और भी कई खुलासे

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में सोमवार को कंचनजंघा ट्रेन दुर्घटना के लिए मालगाड़ी के ड्राइवर, सहायक ड्राइवर और गार्ड को दोषी ठहराया गया है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की सुयंक्त जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम खराब होने पर प्रतिबंधित रफ्तार में ट्रेनों को चलाया जाता है, लेकिन मालगाड़ी के क्रू सदस्यों ने इस नियम का पालन नहीं किया। इसके चलते ड्राइवर-गार्ड सहित कुल 10 लोगों की मृत्यु हो गई। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि घटना से करीब तीन घंटे पहले ही सिग्नल खराब हो गई थी, लेकिन पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने इसकी सूचना नहीं दी।

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेल मैनुअल के अनुसार रेल हादसा के बाद डिविजन स्तर के अधिकारी इसकी जांच कर रिपोर्ट विभाग को सौंप देते हैं। इसके साथ ही रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की ओर से पृथक जांच की जाती है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के डिविजन के सेक्शन इंजीनयिर, पाथ-वे इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर आदि अधिकारियों ने कंचनजंघा ट्रेन हादसे की जांच रिपार्ट में प्रथम दृष्टया मालगाडी के क्रू सदस्यों को दोषी ठहराया है।
अधिकारी ने बताया कि किसी भी सेक्शन (दो रेलवे स्टेशनों के बीच) पर ऑटोमैटिक सिग्लन सिस्टम खराब होने पर ट्रेवलिंग ऑथारिटी 912 (टीए-912) मेमों के साथ यात्री ट्रेनों व मालगाड़ियों का संचालन किया जाता है। इसमें लाल सिग्नल पर ट्रेनों को एक मिनट रुकना होता है और प्रतिबंधित रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटा से ट्रेन चलाई जाती है। रंगापानी-छतर सेक्शन पर उक्त समस्या के चलते टीए-912 के अनुसार यात्री ट्रेन का परिचालन किया गया। लेकिन मालगाड़ी के ड्राइवर-सहायक ड्राइवर ने नियम का पालन नहीं किया। बता दें कि लगभग 45 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से मालगाड़ी ने आगे खड़ी कंजनजंघा ट्रेन को पीछे टक्कर मार दी। इसमें मालगाड़ी के ट्रेन मैनेजर (गार्ड) की लापरवाही रही है। क्योंकि गार्ड के पास इमरजेंसी ब्रेक लगाने के साथ ड्राइवर-सहायक ड्राइवर को सतर्क करने की ड्यूटी होती है।
टीए-912 जारी करने पर रोक
एनएफआर के महाप्रबंधक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक के बाद जोन में टीए-912 को रद कर दिया है। यानी किसी सेक्शन में ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम फेल होने पर टीए-912 मेमो के आधार पर लाल सिग्नल में ट्रेनों का परिचालन नहीं किया जाएगा। नियम के अनुसार, सिग्लन फेल होने पर अब्सूल्यूट ब्लाक सिस्टम लागू हो जाता है। इसमें एक ट्रेन के अगले स्टेशन पर पहुंचने के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। यह सबसे सुरक्षित तरीका माना गया है। लेकिन रंगापानी के स्टेशन मास्टर ने अब्सूल्यूट ब्लाक नियम का पालन नहीं किया। कंचनजंघा ट्रेन के अगले स्टेशन (छतर) पर पहुंचने से पहले ही मालगाड़ी को रवाना कर दिया।
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