नई दिल्ली : तीन साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे के दौरान हुई सुरक्षा चूक मामले में अब पुलिस ने नया ऐक्शन लिया है। प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास की नई धारा जोड़ी गई है। इस मामले में 25 किसानों को आरोपी बनाया गया था। अपनी मांगों के लिए जुटे किसानों ने पीएम मोदी का काफिला रोक दिया था। पुलिस के नए ऐक्शन को लेकर किसान नेताओं में नाराजगी है। खनौरी में किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने ऐलान किया है कि यदि किसी भी किसान को पुलिस ने गिरफ्तार करने का प्रयास किया तो वे इसका जबरदस्त विरोध करेंगे।
5 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिरोजपुर जाना था, लेकिन मोगा-फिरोजपुर रोड पर किसान संगठनों की ओर से उनके काफिले को रोक दिया गया था। उस समय पुलिस ने रास्ता अवरुद्ध करने की धाराओं अधीन मामला दर्ज किया था, लेकिन 3 साल की जांच के बाद अब पुलिस ने किसान भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के प्रदेशाध्यक्ष बलदेव सिंह जीरा सहित 25 किसानों के खिलाफ हत्या प्रयास की धारा 307 के अधीन मामला दर्ज कर दिया है।
किसान नेताओं की चेतावनी
इस एफ.आई.आर. के दर्ज होने के बाद खनौरी में आयोजित प्रैसवार्ता दौरान किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने ऐलान किया कि यदि एफ.आई.आर. नामजद किए किसी भी किसान को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया तो किसान इसका जबरदस्त तरीके से विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के दबाव में काम करते हुए पंजाब सरकार ने पुलिस को उक्त एफ.आई.आर. दर्ज करने का आदेश दिया। दर्ज एफ.आई.आर. में जनवरी 2022 के दौरान ही संगीन धाराओं को जोड़ दिया गया था। इसका खुलासा उस समय हुआ, जब फिरोजपुर की अदालत में कमलजीत सिंह नामक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री के काफिले को रोकने के मामले में जमानत याचिका दायर की। सैशन अदालत की ओर से याचिका को रद्द करने पर इस मामले की जानकारी उजागर हुई।
हिंसा ही नहीं हुई तो हत्या प्रयास कैसा?
किसान नेताओं ने कहा कि 5 जनवरी को जिस समय प्रधानमंत्री को फिरोजपुर में आयोजित भारतीय जनता पार्टी की रैली में शामिल होने के लिए जाना था, उस समय उनका सड़क के रास्ते जाने का कोई प्रोग्राम नहीं था। लेकिन मौसम खराब होने के कारण प्रधानमंत्री को सड़क के रास्ते मोगा-फिरोजपुर रोड से कड़ी सुरक्षा के बीच ले जाया जा रहा था। रास्ते में पहले से किसान प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और इसी प्रदर्शन को लेकर प्रधानमंत्री का काफिला कुछ देर रुका रहा। इस दौरान किसी किसान ने कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया और काफिला कुछ देर रुकने के बाद लौट गया। जब किसी से कोई मारपीट या हाथापाई ही नहीं हुई तो पुलिस किसानों पर हत्या प्रयास का मामला कैसे दर्ज कर सकती है। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों प्रति बेहद कठोर रवैया अपना चुकी है, इसी कारण किसानों की मांगें लागू करने के बजाय, किसानों पर संगीन धाराएं लगाकर झूठे मामले दर्ज करने लगी है।