बस्तर के कोंडागांव जिले का ऐसा गांव है जो चारों तरफ से नदी-नालों से घिरा हुआ है। बारिश के दिनों में गांव टापू के रूप में तब्दील हो जाता है। यह सिलसिला अब धीरे-धीरे शुरू हो गया है। इस गांव की गर्भवती महिलाएं मानसून के समय डिलीवरी से ठीक एक महीने पहले गांव छोड़ रही हैं। पास के ही दूसरे गांव जहां स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से मिल जाए वहां जाकर रह रहीं हैं। ऐसा हर साल होता है।
क्योंकि, बारिश के समय बरसाती नदी-नाले उफान पर आ जाते हैं। एंबुलेंस समेत अन्य कोई जरूरी सुविधा गांव तक नहीं पहुंच पाती है। छ्त्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर स्थित इस गांव के ग्रामीण अब घरों से चंदा इकट्ठा कर नदी पर लकड़ी का अस्थाई पुल बना रहे हैं। ताकि, इस मानसून थोड़ी राहत मिल सके।