खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप अमेरिका के न्याय विभाग ने विकास यादव नाम के एक भारतीय पर लगाया है. लेकिन अमेरिका में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वाले और खालिस्तानी आंदोलन को जिंंदा करने के लिए बनाए गए सिख फॉर जस्टिस के खिलाफ कोई कारवाई नहीं करता. गुरपतवंत सिंह पन्नू आए दिन सोशल मीडिया के जरिए भारत को धमकी देता रहता है, इस पर भी अमेरिका चुप्पी साधे रहता है. सबसे खास बात, अमेरिका को भी यह बात पता है कि पन्नू की भारत विरोधी गतिविधियों के पीछे पाकिस्तान का पूरा हाथ है. वही पन्नू का गॉडफादर है, इसके बावजूद अमेरिका कुछ नहीं बोलता.
अब पन्नू का पूरा कच्चा चिट्ठा खुलकर सामने आ गया है. सिख फॉर जस्टिस अमेरिका में एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन के तहत रजिस्टर्ड है. इसे रजिस्टर कराने वालों में एक पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल है. इसका नाम मोहम्मद सलमान यूनुस है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अपने भाई अवतार पन्नू और इसी पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद सलमान यूनुस के साथ मिलकर इस फर्म को रजिस्टर कराया था. सिख फॉर जस्टिस इंटरनेशनल को एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन है, जिसका कंपनी नंबर EXTUID_4237096 है . यह डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के अधिकार क्षेत्र में आता है.
पाकिस्तानी शख्स सिख फॉर जस्टिस का फाउंडर मेंबर
इस कंपनी के डायरेक्टर ऑफिसर लिस्ट में पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद सलमान यूनुस सिख फॉर जस्टिस के गवर्नर के तौर पर शामिल है. गुरपतवंत पन्नू और उसके भाई अवतार पन्नू के साथ पाकिस्तानी भी इसका फाउंडर मेंबर है. पाकिस्तानी नागरिक यूनुस के साथ गुरपतवंत ने भी अपना पहला व्यवसाय एक लॉ कंपनी स्थापित की, जैसा कि इसके कागजात से पता चला है. यूनुस ही वो शख्स है जिसने कश्मीर खालिस्तान रेफरेंडम फ्रंट (KKRF) की स्थापना के लिए पन्नू के साथ साझेदारी की.
KKRF संगठन कश्मीर-खालिस्तान या कहें K2 डेस्क पर सक्रिय है, जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत को तोड़ने के मक़सद से 80 के दशक में बनाया था. KKRF की एक अन्य प्रमुख भागीदार है गजाला हबीब, जो कि अलगाववादी संगठन फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर (FOK) की निदेशक हैं. यह संगठन भी अमेरिका में रजिस्टर है जो ISI के साथ मिलकर काम करती हैं.
अगस्त 2020 को फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर ने एक वेबिनार आयोजित किया और कई अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों को आमंत्रित किया. उनके अलावा अन्य मेहमानों में सरदार मसूद खान, अब्दुल हामिद लोन और अवतार सिंह पन्नू जैसे पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल थे. सितंबर 2020 में ही पाकिस्तानी संगठन द वर्ल्ड कश्मीर फोरम और फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर ने हाथ मिलाया था.
भारत विरोधी एजेंडा चलाना इनका काम
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के इशारे पर ही अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के अलावा गज़ाला हबीब और पन्नू ने यूनाइटेड स्टेट कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम के अधिकारियों के साथ भारत विरोधी एजेंडे पर काम किया.
सिख फॉर जस्टिस तो कनाडा में इंप्यूनिटी यानी दंड मुक्ति के लिए काम कर रहा है. दो साल पहले ही पन्नू ने अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए “खालिस्तान जनमत संग्रह” आयोजित किया था. और अब भी इस तरह की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखे हुए है. इसके अलावा, पाकिस्तान की ISI खालिस्तानी अलगाववादी समूहों के लिए एक सपोर्ट सिस्टम के तौर पर काम कर रही है. खास बात तो ये है कि इन सभी सूचनाओं के सार्वजनिक होने के बावजूद खालिस्तानी कनाडा में न सिर्फ खुलेआम घूम रहे हैं बल्कि लगातार वहां से अपने एजेंडे को आगे भी बढ़ा भी रहे हैं.
एक्सपर्ट की बात…
-विदेशी मामलों के जानकार सुशांत सरीन का कहना है कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा उस समय भी चुप थे जब 80 के दशक में पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट के दौरान कत्लेआम हुए. और ये बातें करते रहते हैं कि कार्रवाई होगी लेकिन कौन सी कार्रवाई उनके खिलाफ की गई है.. कोई नहीं. उन्होंने इस तरह के संगठनों को सपोर्ट ही नहीं किया बल्कि उन्हें पनपने दिया.
-सुशांत सरीन ने कहा- अमेरिका की नीति आतंकवाद और उग्रवाद को लेकर कैसी है, यह जगजाहिर है. जब खुद पर कोई संकट आता है, साजिश की जानकारी मिलती है, वह खतरे से निपटने के लिए कहीं भी चला जाता है. लेकिन दूसरे देशों के लिए उसके नियम बदल जाते हैं. जिस देश ने लंबे समय तक लादेन को छुपाए रखा, उसके साथ अमेरिकी प्रेम कम ही नहीं होता. तभी तो पाकिस्तान समर्थित पन्नू और उसके संगठन अमेरिका में रहकर उन्हीं के नाक के नीचे फलफूल रहा है और अमेरिका को ये सब दिखाई भी देता है, लेकिन करता कुछ नहीं है.