जांजगीर-चांपा । पेड़-पौधें जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं और इसके बिना जीवन संभव नहीं है । हमें इनकी रक्षा और संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए । इसी पवित्र भावना को लेकर लोक माता अहिल्या बाई होल्कर त्रिशताब्दी जन्म-जयंती पर श्रीमति मीनाक्षी और श्रीमति सावित्री सोनी दोनों ने मिलकर प्रकृति को संवारने व संस्कृति की विरासत को संजोने का प्रयास की हैं । साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की जयंती के बाद भी हम पौधारोपण करे, प्रकृति को संवारे। दोनों बहनों की तरह हम भी नारियल,अनार, नींबू परिजात और रामफल के पौधे अपने-अपने घर ,खाली जगह या गार्डन में लगाएं और वन उपवन की सुंदरता बढ़ाते रहे । पेड़-पौधों का महत्व इस तरह से हैं –
प्रकृति की सुरक्षा – पौधारोपण प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण में मदद करता है।
पर्यावरण संतुलन- पौधारोपण पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में हमारी मदद करता हैं।
सांस्कृतिक विरासत- पौधारोपण सांस्कृतिक विरासत को संजोने और बढ़ावा देने में मदद करता हैं ।
हरियाली और स्वच्छता- पौधारोपण से क्षेत्र में हरियाली और स्वच्छता बढ़ेगी।
प्रकृति की सुरक्षा- पौधारोपण करने से हमें प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण में मदद मिलेगी।
सांस्कृतिक जागरूकता- पौधारोपण से सांस्कृतिक जागरूकता और विरासत को बढ़ावा देगा।
आइए हम-सब मिलकर पेड़-पौधों की रक्षा और संरक्षण के लिए दोनों बहनों श्रीमति मीनाक्षी और सावित्री देवी सोनी की तरह 5 फल-फूलदार पौधे लगाने का संकल्प लें और पर्यावरण को संरक्षित करने में अपना योगदान दे ।