शहर में इन दिनों कजक्टिवाइटिस तेजी से फैल रहा है। इसको लेकर बीते दस दिनों में 100 से ज्यादा मरीज उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचे हैं। डॉक्टरों के अनुसार बच्चों में इसका संक्रमण ज्यादा है क्योंकि स्कूल में बच्चे संक्रमित बच्चे के नजदीकी संपर्क में आकर खुद भी संक्रमित हो रहे हैं। रोजाना करीब 10 मरीज इस बीमारी से पीड़ित होकर आ रहे हैं।
स्थानीय बोली में कंजक्टिवाइटिस को आंख आना भी कहा जाता है। बच्चों के साथ कुछ बड़े लोग भी इसकी चपेट में हैं। बच्चों में ज्यादा शिकायत आने की मुख्य वजह स्कूल है। बच्चे स्कूल आने-जाने के दौरान स्कूल बस या वैन में एक दूसरे के काफी नजदीक बैठते हैं। इस बीच एक दूसरे के हाथों को स्पर्श करना और इसी हाथ से अपनी आंखों को छूना संक्रमित कर सकता है। कंजक्टिवाइटिस में मरीज की आंखें लाल हो जाती है। इसके साथ ही आंखों में चुभन और दर्द होता है।
आंखों से पानी का स्त्राव होता है और बुखार भी आता है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ क्रिसेंसिया एक्का ने कहा की सावधानी ही सबसे बड़ी दवा है। संक्रमित व्यक्ति को सलाह दी जाती है कि वह अपना कपड़ा, तौलिया और अन्य चीजें अलग रखें। अपनी आंखों को बार-बार ना मसले। संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों को रोगनिरोधी एंटीबायोटिक्स लेनी चाहिए। स्टेरॉयड ड्रॉप्स के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
हाथों को साफ रखकर संक्रमण से बच सकते हैं जिला अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ क्रिसेंसिया एक्का ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस से बचाव के लिए बेहद जरूरी है अपनी हथेलियों को साफ रखना। यह आई कांटेक्ट से नहीं फैलता है। पर यदि किसी संक्रमित व्यक्ति ने अपनी आंखों को हथेलियों से छुआ है और उससे कोई हाथ मिला ले, फिर वह व्यक्ति भी अपनी आंखों को छुए तो उसे कंजक्टिवाइटिस का शिकार हो जाता है। इसलिए अपनी हांथों को हमेशा साफ रखना और आंखों को साफ हाथों से ही छूना जरूरी हो गया है।
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस है कंजक्टिवाइटिस की समस्या आंखों में बैक्टीरिया या वाइरस के संक्रमण या एलर्जिक रिएक्शन के कारण हो सकती है। छोटे बच्चों में टियर डक्ट (अश्रु नलिका) के पूरी तरह खुला न होने से भी अक्सर पिंक आई की समस्या हो जाती है। शहर में फैला कंजक्टिवाइटिस बैक्टेरियल है।