कांकेर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र पखांजूर से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां नक्सल संगठन के शीर्ष कमांडर ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण (सरेंडर) कर दिया है। सरेंडर के बाद इस वरिष्ठ नक्सली नेता का महत्वपूर्ण और भावनात्मक बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपने साथियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की है।
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कमांडर का बड़ा बयान — “हिंसा से नहीं मिलेगा समाधान”
सरेंडर के बाद कमांडर ने कहा कि जंगलों में जारी हिंसा का सबसे बड़ा नुकसान निर्दोष ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि संगठन वर्षों से ग्रामीणों के नाम पर लड़ाई लड़ने का दावा करता रहा, लेकिन हकीकत में ग्रामीण ही हिंसा का शिकार बने हैं।
उनका कहना है, “अब समय आत्ममंथन का है, न कि बंदूक उठाने का। बदलाव की लड़ाई जनता के साथ मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से लड़ी जानी चाहिए।”
नक्सल संगठन में वैचारिक संकट की बात स्वीकार
कमांडर ने अपने बयान में माना कि नक्सल संगठन के भीतर गहरा वैचारिक संकट पैदा हो गया है। कई वरिष्ठ नेता अब यह महसूस कर रहे हैं कि हिंसक रास्ते से परिवर्तन संभव नहीं। उन्होंने कहा कि अब संगठन का फोकस अपने अस्तित्व को बचाने पर ज्यादा है, न कि जनता की समस्याओं को हल करने पर।
सुरक्षा बलों की पहल से बढ़ा भरोसा
सुरक्षा बलों का कहना है कि यह सरेंडर सरकार की पुनर्वास नीति और संवाद कार्यक्रमों की सफलता का परिणाम है। अधिकारी ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में कई वरिष्ठ नक्सली सरकारी योजनाओं और पुनर्वास कार्यक्रमों का हिस्सा बने हैं।
मुख्यधारा में लौटने की अपील
पूर्व कमांडर ने अपने साथियों से कहा कि वे भी जंगलों से निकलकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों और विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि “बंदूक से सिर्फ मौत मिलती है, लेकिन लोकतंत्र में उम्मीद और बदलाव दोनों संभव हैं।”
निर्दोष ग्रामीणों को सबसे ज्यादा नुकसान
उन्होंने यह भी कहा कि संगठन की गतिविधियों से ग्रामीणों की आजीविका, शिक्षा और सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ा है। हर बार संगठन हिंसा को ग्रामीणों के नाम पर सही ठहराता है, जबकि सबसे अधिक पीड़ा उन्हीं को झेलनी पड़ती है।
नक्सलियों के आत्मसमर्पण में तेजी
पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ के कई इलाकों — खासकर बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर — में नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। सुरक्षा बलों का दावा है कि यह संकेत है कि नक्सल विचारधारा अपनी पकड़ खो रही है।
सरकार ने जताई संतुष्टि
राज्य पुलिस और प्रशासन ने इस सरेंडर को शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया है। अधिकारियों ने कहा कि सरकार मुख्यधारा में लौटने वाले हर व्यक्ति को पुनर्वास और रोजगार के अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है।

