छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में धान की एक किस्म तैयार की गई है जो कैंसर में भी फायदेमंद है। इस बात का दावा करने वाले इंदिरा गांधी कृषि विश्विवद्यालय के वैज्ञानिकों ने किया है। धान की इस किस्म को संजीवनी नाम दिया गया है।
संजीवनी धान इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ स्तन कैंसर पीड़ितों के इलाज में भी मददगार है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई की मदद से छह साल में इस किस्म को तैयार किया है। आम जनता तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसके 3 प्रोडक्ट भी तैयार किए हैं।
- 1. संजीवनी इंस्टेंट

संजीवनी धान से तैयार एक प्रोडक्ट का नाम विश्विवद्यालय प्रबंधन ने संजीवनी इंस्टेंट रखा है। इस प्रोडक्ट की खासियत है, कि यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है। इसे एक पात्र में दो चम्मच (8-10 ग्राम) ब्राउन चावल लें। इसे 30 मिलीलीटर गुनगुने पानी में डालकर 10 मिनट के लिए ढंककर छोड़ दें। पानी को छानकर अलग कर लें। चावल में दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-सुबह (नाश्ते से पहले) खाएं।
- 2. संजीवनी मधु कल्क

संजीवनी प्रोडक्टर से तैयार दूसरे प्रोडक्ट को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने संजीवन मधु कल्क नाम दिया है। इसे प्रोसेसिंग प्रक्रिया के साथ ब्राउन चावल पाउडर को शहद के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे दिन में एक चम्मच सुबह-सुबह (नाश्ते से पहले) खाएं।
- 3. संजीवनी बार

संजीवनी प्रोडक्टर से तैयार तीसरे प्रोडक्ट को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने संजीवनी राइस बार नाम दिया है। संजीवनी ब्राउन राइस, अलसी, कद्दू के बीज, चना, सूरजमुखी के बीज और खजूर से तैयार किया गया है। अच्छे लाभ के लिए नाश्ते से पहले हर दिन एक बार खाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे लोकार्पण
इन 3 प्रोडक्ट का लोकार्पण 20 जनवरी को विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस पर देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे। लोकार्पण समारोह में किसी भी तरह की असुविधा ना हो, इसलिए शुक्रवार को विश्वविद्यालय प्रबंधन के अधिकारियों ने राजपत्रित अधिकारियों की मौजूदगी में दो घंटे की मैराथन बैठक ली। बैठक में कुलपति ने सभी विभागाध्यक्षों और प्रभारियों को सावधानी बरतने का निर्देश दिया है।
लायचा किस्म में रिसर्च करके बनाई संजीवनी किस्म
कृषि विश्वविद्यालय में अनुसंधान विभाग के प्रभारी डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया, कि बस्तर अंचल में उत्पादित होने वाली धान की किस्म लायचा से संजीवनी किस्म को बनाया गया है। डॉ. त्रिपाठी के अनुसार धान की किस्म संजीवनी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है। इस किस्म का 10 दिन सेवन करने से कैंसर पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती देखी गई है। यह किस्म भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर, मुंबई के सहयोग से विकसित की गई है।
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने किया शोध
कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया, कि शोध के अनुसार संजीवनी चावल कैंसर कोशिका और मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिका का शक्तिशाली अवरोधक है। इसके रिजल्ट की पुष्टि के लिए इसका प्रयोग स्तन कैंसर कोशिका के साथ चूहों पर किया गया। अध्ययन में संजीवनी ब्राउन राइस के सेवन से चूहों में स्तन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रुक गई।
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ और टाटा मेमोरियल मुंबई की ओर से स्वतंत्र अध्ययन भी किया गया है। इसमें संजीवनी चावल में प्रारंभिक तौर पर मानव स्तन कैंसर कोशिका के विरुद्ध कैंसर अवरोधी गुण देखे गए हैं।