छतीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में ED ने सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें दो कंपनियां शामिल है. एजेंसी ने ये चार्जशीट अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, नितेश पुरोहित और अरविंद सिंह के अलावा दो कंपनियों Petrosun Refineries Pvt Ltd, Dhillon City Mall Pvt Ltd के खिलाफ दाखिल की है. एजेंसी ने इस मामले में इन पांचों आरोपियों को गिरफ्तार किया था और फिलहाल सभी न्यायिक हिरासत में हैं. इस मामले में गिरफ्तार आरोपी अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई है और IAS अधिकारी अनिल टूटेजा के काफी करीब है.
एजेंसी ने मनी लॉड्रिंग का ये मामला छत्तीसगढ में इनकम टैक्स की छापेमारी के बाद दाखिल चार्जशीट के आधार पर दर्ज किया है. इनकम टैक्स ने मई 2022 को छापेमारी में मिले सबूतों के आधार पर IAS अनिल टूटेजा और दूसरे आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की तीस हजारी में चार्जशीट दाखिल की थी.
इनकम टैक्स को छापेमारी में सबूत मिले थे कि राज्य में बडे नेताओं, सरकारी अधिकारी और कुछ प्राइवेट लोगों की मिलीभगत से बड़ा अवैध रिश्वत का कारोबार चल रहा है. ये कारोबार 2 हजार करोड़ से ज्यादा का है और राज्य के कई विभागों तक ये फैला है. यही वजह है कि रोजाना की कलेक्शन के लिये बकायदा डाटा मैनेज किया जा रहा था और एक्सल शीट पर आपस में WhatsApp पर शेयर किया जा रहा था, जिसे इनकम टैक्स ने अपनी छापेमारी में पकड़ा.
इसी के बाद जब ED ने अपनी जांच शुरू की तो पता चला कि छत्तीसगढ में Industry and Commerce Department में ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिल टूटेजा इस पूरे नेटवर्क को अनवर ढेबर के साथ मिल कर चला रहा है. इन दोनों के राज्य के बड़े नेताओं और दूसरे सीनियर अधिकारियों के साथ काफी नजदीकी संबध हैं. जिसकी वजह से ये नेटवर्क बिना रोक टोक चर रहा था. अनवर ढेबर इस पुरे अवैध रिश्वत का मुख्य कलेक्शन एजेंट था. जो खुद के लिये और अनिल टूटेजा के लिये 15 फीसदी हिस्सेदारी रख बाकी दूसरे लोगों के लिये रखता था, जिसमें राज्य के नेता और अधिकारी शामिल हैं.
राज्य में शराब कारोबार सरकारी कमाई का एक बड़ा जरिया है. इसके लिये सरकार ने साल 2017 में नयी Excise Policy तैयार की थी और फरवरी 2017 में CSMCL (Chhattisgarh State Marketing Corporation Ltd) का गठन किया था. इसका मुख्य मकसद था अवैध शराब के कारोबार को रोकना, सही शराब बेचना और MRP पर बेचना. इसके लिये सरकार ने सीधे कंपनियों से शराब खरीद कर अपने स्टोर से बेचने की योजना बनायी थी ताकी नकली और महंगी शराब को बिकने से रोका जा सके.
लेकिन राज्य में सरकार बदलने के बाद सबसे पहले CSMCL में अरूणपति त्रिपाठी जो ITS अधिकारी है, को फरवरी 2019 में मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया. अनवर ढेबर ने अरूणपति त्रिपाठी को शराब पर कमिशन की जिम्मेदारी थी और साथ ही बिना टैक्स (Non Duty) के CSMCL स्टोर में शराब बेचने के लिये कहा जिससे पैसा सरकार को ना जाकर सीधे अनवर ढेबर और दूसरे लोगों तक पहुंच सके. इसमें कैश कलेक्शन की जिम्मेदारी विकास अग्रवाल को दी गयी. लॉजिस्टिक की जिम्मेदारी अरविंद सिंह को दी गयी. अनवर ढेबर ने इस पूरे प्रोजेक्ट को तीन हिस्सों में बांटा, जिसमें पहला हिस्सा शराब व्यापारियों से कमीशन, दूसरे हिस्से में नकली होलोग्राम के साथ सरकारी दूकानों से देशी शराब बेचना और तीसरे हिस्से में कमाई को रखा गया था.
अरूणपति त्रिपाठी ने M/s Prizm Holography & Films Securities Pvt Ltd को शराब की बॉटल पर लगने वाले होलोग्राम के कॉंट्रेक्ट दिया जिसमें नकली होलोग्राम भी देने के लिये कहा गया. इसके बाद मार्च 2019 में अनवर ढेबर ने राज्य में शराब सप्लाई करने वालों के साथ मीटिंग की और कहा कि शराब की हर पेटी पर 75 रुपये कमीशन देना होगा और इसके बदले में शराब व्यापारी शराब का रेट बढ़ा सकते हैं. सारी शराब सीधे CSMCL के जरिये ही खरीदी जानी थी. जिसका मतलब है कि पूरा रिकॉर्ड मौजूद था और जब तक कमीशन नहीं आता, शराब व्यापारियों को पेमेंट नहीं की जाती.
इसके अलावा देशी शराब कंपनी और व्यापारियों को कहा गया कि वो नकली होलोग्राम लगा कर CSMCL के स्टोर पर अवैध शराब भेजें, जिसका कोई सेल रिकॉर्ड नहीं होगा और कंपनियों को पेमेंट कैश में की गयी और ये शराब सरकारी वेयरहाउस में ना जाकर सीधे सरकारी दूकानों पर जाती थी ताकी इसका कोई रिकॉर्ड ना रहे लेकिन पैसा बराबर आता रहे. इस तरीके से सरकार को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा था और इस सिडिकेंट को फायदा. एजेंसी को जांच में पता चला की 2019-22 तक इस तरह की अवैध शराब की सेल करीब 30 से 40 फीसदी तक थी. 560 रुपये प्रति केस की MRP 2880 रखी गयी जिसे बाद में बढ़ाकर 3880 कर दिया गया. बिना कागजों के अवैध शराब की सेल साल 2019-20 में 200 ट्रक में प्रति महिने करीब 800 केस थी जो 2022-23 में 400 प्रति ट्रक बढ़ गयी थी. यानी शराब भी दोगुनी.
इसमें अनवर ने सिस्टम को इस तरह से तैयार किया था कि जिससे शराब व्यापारियों से लेकर नेताओं-अधिकारियों तक सब को फायदा हो. इसमें शराब का लाइसेंस मिलने से लेकर शराब बेचने तक की सालाना कीमत तय थी.
ED का कहना है कि इस मामले की जांच के लिये अनवर ढ़ेबर को 6 बार पूछताछ के लिये बुलाया गया और 29 मार्च 2023 को घर पर छापेमारी भी की गयी. लेकिन अनवर ढेबर एक बार भी जांच में शामिल नहीं हुआ बल्कि जब एजेंसी ने घर पर छापेमारी की तो अनवर घर में बने एक खुफिया दरवाजे से निकल गिया. इतना ही नहीं, अनवर के परिवार ने जांच के लिये नोटिस लेने से भी मना कर दिया और किसी तरह का सहयोग नहीं किया. आरोपी का भाई रायपुर का मेयर है तो इसलिये अपने सर्मथकों को बुलाकर टीम को घेरने और डराने की कोशिश भी की. इतना ही नहीं, एक मौके पर पूछताछ से बचने के लिये अनवर ने फर्जी मेडिकल सर्टीफिकेट लगाया लेकिन जब डॉक्टर से जांच की तो उसने इस मेडिकल सर्टिफिकेट को जारी करने से मना कर दिया.