राशन कार्ड भारत में गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसका उपयोग उन्हें सरकारी खाद्यान्न योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में किया जाता है। यह कार्ड उन परिवारों को उपलब्ध कराया जाता है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और जिन्हें सस्ते दरों पर अनाज और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। राशन कार्ड धारक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत सरकारी राशन प्राप्त करने के पात्र होते हैं। यह योजना भारत सरकार द्वारा देश के गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज, चावल, गेहूं, दालें और अन्य खाद्यान्न प्रदान करने के लिए लागू की गई थी। हाल ही में, केंद्र सरकार ने राशन कार्ड धारकों के लिए कुछ नए नियम जारी किए हैं, जिनके तहत लाखों लोगों को मुफ्त राशन मिलने में रुकावट आ सकती है। इस लेख में हम इन नए नियमों और उनके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
राशन कार्ड के नए नियम
केंद्र सरकार ने राशन कार्ड धारकों के लिए कई नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य राशन वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है। ये नियम मुख्य रूप से राशन कार्ड धारकों की पहचान सत्यापन, खाद्यान्न वितरण प्रणाली में सुधार, और पात्रता मानदंडों को कड़ा करने से संबंधित हैं। सरकार ने सभी राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिक पहचान सत्यापन) कराना अनिवार्य कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत, राशन कार्ड धारकों को अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अभी भी सरकारी राशन योजनाओं के लिए पात्र हैं। ई-केवाईसी प्रक्रिया में लाभार्थी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी, आधार कार्ड, और अन्य दस्तावेज़ों की पुष्टि करनी होती है। यदि कोई राशन कार्ड धारक 31 अक्टूबर 2024 तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं करता है, तो उसका नाम राशन कार्ड से हटा दिया जाएगा और उसे अगला राशन नहीं मिलेगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि मृतक या अपात्र व्यक्तियों को राशन का लाभ न मिले और केवल पात्र लोग ही इस योजना का फायदा उठा सकें। इस कदम से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि योजना के लाभार्थी वही लोग हों जो वास्तव में इसकी आवश्यकता रखते हैं और जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है।

