Wednesday, October 29, 2025

Karnataka High Court News : कोर्ट ने कहा—संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता

बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस राज्य सरकार के आदेश पर अनन्तकालीन अस्थायी रोक लगा दी, जिसे मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की सरकार द्वारा जारी किया गया था। यह आदेश उन कार्यक्रमों तथा सभाओं पर था जिनमें दस से अधिक लोगों का समूह सरकारी परिसरों में पूर्व अनुमति के बिना इकट्ठा होता।

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यह विवाद विशेष रूप से उस कार्यक्रम से जुड़ा है जिसमें RSS द्वारा की जाने वाली “रूट मार्च” या पथ संचलन शामिल थी और जिसे सरकार ने अनुमति नहीं दी थी। हाइकोर्ट ने कहा कि किसी भी संगठन के बुनियादी संवैधानिक अधिकारों जैसे सभा एवं आंदोलन की स्वतंत्रता को इस तरह प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता जब तक कि यह सार्वजनिक व्यवस्था के लिए “उचित एवं आवश्यक” न हो।

 क्या कहा गया

  • सरकार ने 18 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था जिसके तहत किसी भी निजी संगठन, समूह या संघ को यदि वह सरकारी संपत्ति/आवंटित जमीन पर दस से अधिक लोगों की सभा करना चाहता है, तो पूर्व अनुमति लेनी होगी। इस आदेश को विपक्षी दलों और RSS ने “विशेष रूप से उन पर निशाना” माना, हालांकि सरकार का कहना है कि यह सभी संगठनों पर समान रूप से लागू होगा।

  • हाईकोर्ट ने इस तरह कहा कि आदेश का दायरा बहुत व्यापक है और यह संघ-संविधान द्वारा सुरक्षित सार्वजनिक समवाय अधिकारों पर असंवैधानिक रूप से छेड़छाड़ कर सकता है।

 राजनीतिक मतलब

  • यह फैसला RSS के लिए राहत का संदेश ले कर आया है, क्योंकि उन्हें वह अनुमति नहीं मिल पा रही थी जो इस आदेश के कारण रोकी गई थी।

  • दूसरी ओर, सिद्दरमैया सरकार को यह झटका इसलिए भी है क्योंकि यह उसके नियंत्रण एवं प्रशासन-कायक्रमों को चुनौती देता दिख रहा है।

  • विपक्ष ने इस अवसर को लेकर अनुमान लगाया है कि सरकार द्वारा यह कदम राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने हेतु था।

 आगे क्या होगा

  • हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह 24 अक्टूबर तक इस मामले का विस्तृत प्रतिवेदन दाखिल करे जिसमें बताया जाना है कि अनुमति न देने का कारण क्या था और सार्वजनिक व्यवस्था पर किस तरह प्रभाव था।

  • मामला अगले सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है, तब तक यह आदेश अस्थायी रूप से लागू रहेगा।

  • सरकार संभवतः अपने आदेश को संशोधित या सीमित कर सकती है ताकि यह सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित “उचित प्रतिबंध” के दायरे में आए।

इस फैसले के बाद स्पष्ट है कि कर्नाटक में सभा-प्रवेशियों एवं सार्वजनिक गतिविधियों पर शासन द्वारा लगाई गई रोक अब कोर्ट की निगरानी में आएगी और इस प्रकार किसी भी संगठन की गतिविधि पर सरकार का नियंत्रण स्वीकार्य संवैधानिक आकार के

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