Saturday, July 5, 2025

Kharmas 2025 : यहां जानिए कब से शुरू हो रहा है खरमास और इसके कुछ नियम

Kharmas date 2025 : हिंदू धर्म में खरमास के महीने का विशेष महत्व होता है. इस दौरान किसी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं जैसे – शादी-विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन आदि.आपको बता दें कि खरमास तब शुरू होता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं. खरमास पूरे 1 महीने तक चलता है. ऐसे में आइए जानते हैं साल 2025 में कब से खरमास का महीना शुरू हो रहा है और इस दौरान क्या करें क्या नहीं.

खरमास 2025 कब से शुरू हो रहा है – 

  • पंचांग के मुताबिक, वर्तमान में सूर्य कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं जिसमें वो 13 मार्च तक रहेंगे. इसके बाद से 14 मार्च को भगवान सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे. इस दिन से ही खरमास शुरू हो जाएगा और सारे मांगलिक कार्य रुक जाएंगे.

कब समाप्त होगा खरमास 2025 – 

  • भगवान सूर्य 14 अप्रैल 2025 को मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश कर जाएंगे. इसी के साथ 14 अप्रैल को खरमास समाप्त हो जाएगा और सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे.

खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य – 

  • मान्यताओं के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य देव का तेज कम हो जाता है. जिसके कारण किसी भी मांगलिक कार्य का शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं होता है.

खरमास में क्या न करें – 

  • विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ, नामकरण जैसे शुभ कार्य इस दौरान नहीं करने चाहिए.
  • किसी भी नए काम और कारोबार की शुरूआत नहीं करनी चाहिए.
  • इस दौरान नकारात्मक विचारों से भी बचना चाहिए.

खरमास में क्या करें – 

  • खरमास के दौरान आपको सूर्य देव की उपासना नहीं करनी चाहिए. पूजा-पाठ, तप-जप और मेडिटेशन पर ध्यान देना चाहिए.
  • इसके अलावा दान-पुण्य करें और गरीबों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करें.
  • वहीं, आप खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना करें. हर दिन ताम्र पात्र में जल लेकर सूर्य को जल अर्पित करें.
  • खरमास के दौरान गायत्री मंत्र और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करिए. इससे आपका मनोबल और आत्मबल मजबूत होगा.
  • इस दौरान भगवान विष्णु और श्रीराम की पूजा करें.

सूर्य मंत्र – 

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:

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