Friday, October 24, 2025

लखपति दीदी नीलम सोनीः स्वाद, संस्कृति और सशक्तिकरण की एक प्रेरक कहानी

कोरबा 21 जुलाई, 2025/
 कहते हैं परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो हर मुश्किल राह आसान बन जाती है। जिले की श्रीमती नीलम सोनी ने यह साबित कर दिखाया कि अगर जुनून हो तो साधारण सी जिंदगी भी एक असाधारण मिसाल बन सकती है। घरेलू जिम्मेदारियों में बंधकर बैठने के बजाय उन्होंने बदलाव को चुनाकृखुद के लिए, अपने परिवार के लिए और उन सैकड़ों महिलाओं के लिए जो कभी समाज की सीमाओं में सिमटी थीं। चुनौतियों से लड़कर उन्होंने न सिर्फ अपना आर्थिक और सामाजिक कद ऊँचा किया, बल्कि दूसरों के जीवन में भी उम्मीद की किरण जगाई। आज वे केवल एक सफल उद्यमी ही नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की प्रेरणादायक प्रतीक बन चुकी हैं।
कोरबा जिले के कटघोरा में रहने वाली श्रीमती सोनी के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पति अकेले कमाने वाले थे और घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। अपने बच्चों के भविष्य और अपने आत्मसम्मान के लिए नीलम ने ठान लिया कि कुछ करना है। उन्होंने अपनी बेटी ’श्रिया’ के नाम पर ’श्रिया स्व-सहायता समूह’ से जुड़कर अपनी नई यात्रा की शुरुआत की। यही वह मोड़ था जहाँ से उन्होंने अपने जीवन को नए रंगों से रंगना शुरू किया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (छत्स्ड) के अंतर्गत  सरकार द्वारा संचालित ‘बिहान’ योजना से जुड़कर श्रीमती नीलम सोनी को एक नई दिशा और पहचान मिली। उन्होंने शासन की सहायता से छह लाख रुपये का ऋण प्राप्त किया और कटघोरा में ‘गढ़ कलेवा’ नामक एक परंपरागत छत्तीसगढ़ी भोजनालय की शुरुआत की। शुरुआत में राह आसान नहीं थी, लेकिन दृढ़ निश्चय और परिश्रम ने उन्हें पीछे मुड़कर देखने का मौका नहीं दिया। उन्होंने गढ़ कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों जैसे चीला, फरा, ठेठरी, खुरमी, अईरसा, चौसेला, तसमई, करी लड्डू, सोहारी आदि के साथ-साथ मिलेट्स (मोटा अनाज) से बने पारंपरिक पकवानों को परोसना शुरू किया।
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