गुजरात के अहमदाबाद में रविवार (7 जुलाई) को भगवान जगन्नाथ की 147वीं वार्षिक रथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ जमालपुर इलाके में स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से 18 किलोमीटर की रथ यात्रा पर निकले हैं। फिलहाल रथयात्रा सरसपुर पहुंची है।
रथ यात्रा से पहले सुबह 4 बजे गृहमंत्री अमित शाह ने पत्नी सोनल शाह के साथ भगवान जगन्नाथ की मंगला आरती की। इसके बाद करीब 6.30 बजे मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पाहिंद विधि पूरी की। उन्होंने सोने की झाड़ू से रथ का मार्ग साफ किया। इसके बाद श्रद्धालुओं के साथ भगवान जगन्नाथ का रथ खींचा।
प्राचीन परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ खलासी समुदाय के लोग खींचते हैं। सुबह करीब 7 बजे शुरू हुई रथ यात्रा शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए रात 8 बजे तक वापस मंदिर लौटेगी। हिंदू पचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीय (आषाढ़ी बीज) के दिन रथ यात्रा निकलती है।
पुरी के बाद अहमदाबाद में देश की दूसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा
ओडिशा की पुरी रथ यात्रा के बाद अहमदाबाद में देश की दूसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा होती है। रथ यात्रा में तीन रथों के साथ करीब 15 सजे-धजे हाथी चल रहे हैं। इनके अलावा 100 ट्रकों में झांकियां और गायक मंडलियां हैं। 30 अखाड़ों के लोग भी शामिल हुए हैं।
रथ यात्रा में क्या है पाहिंद विधि?
रथ यात्रा के दौरान एक खास किस्म की रस्म होती है, जिसे पाहिंद विधि कहा जाता है। तीनों रथ के आगे सोने की विशेष झाडू से रथ के रास्ते को साफ करना (बुहारना) ही पाहिंद विधि कहलाता है। पाहिंद विधि में भगवान जगन्नाथ के रथ के आगे सोने की झाड़ू से सफाई की जाती है। इसके बाद ही रथ आगे बढ़ता है।