जांजगीर-चांपा । कोसा, कांसा एवं कंचन की नगरी चांपा धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक स्थल हैं । इस नगर में रथयात्रा एक महोत्सव के स्वरुप में मनाया जाता हैं । इस नगर के मुख्य देवता भगवान जगन्नाथ स्वामी को मानते हैं चांपा नगर के कई देवस्थान में भगवान जगन्नाथ स्वामी के तीन विग्रह कई स्थानों में विराजमान हैं और बारह मास इनकी पूजा-अर्चना होती हैं । रथयात्रा एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता हैं । भगवान के रथ को बड़े ही जतन से सजाया संवारा जाता हैं । प्रतिवर्ष जगन्नाथ बड़े मठ मंदिर और मस्जिद रोड स्थित पाड़ी घाट पर जगन्नाथ मंदिर से आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को रथयात्रा निकलती हैं और दशमी तिथि को वापसी यात्रा होती हैं ।
इस दौरान जगन्नाथ स्वामी के श्रीविग्रहों को किसी एक विश्राम स्थल पर एक सप्ताह तक रखा जाता हैं । इस वर्ष जगन्नाथ मंदिर के विग्रह को जयश्री ज्वेलर्स में तो पाढ़ी घाट के विग्रह को सुनील ज्वेलर्स सदर बाजार में में विराजित किया गया हैं । वैदिक शास्त्रों और पुराणों के अनुसार विश्राम स्थल को जगन्नाथ स्वामी के मौसी का घर माना जाता हैं और दशमी तिथि तक प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा-अनुष्ठान किया जाता हैं । श्रद्धालु भक्तों के लिए पूजा-अर्चना के साथ महाप्रसाद की व्यवस्था भी की जाती हैं, दरअसल यह पुण्यार्थ कार्य भक्ति के रस में सराबोर होने को हैं ।मनुष्य का शरीर गुण-दोषमय हैं । इसमें पाप-पुण्य दोनों समाहित हैं । भगवान का पूजा-अनुष्ठान और भजन-कीर्तन करने से मोह काअंधेरा छट जाता हैं और भक्ति की ज्वाला प्रज्ज्वलित हो जाती हैं । यह क्रम जन्म-जन्मांतर तक चलता रहता हैं। किसी जन्म में पुराने संचित पुण्य प्रबल होते हैं तो किसी जन्म में जगन्नाथ स्वामी की भक्ति मिल जाती हैं । इस वर्ष दोनों सगे भाइयों नारायण प्रसाद सोनी और संतोष सोनी जयश्री व उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति सोमवती और श्रीमति सरिता सोनी अपने-अपने सदर बाजार स्थित प्रतिष्ठानों में रथ का पड़ाव करवाया हैं और हर दिन विधि-विधान और मंत्रोच्चारण से पूजा-अर्चना की जा रही हैं दिनांक 30 जून,2025 को जगन्नाथ प्रभु के छप्पन भोग महाप्रसाद भंडारे में स्वर्णकार समाज के केंद्राध्यक्ष जयदेव सोनी, छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष कार्तिकेश्वर स्वर्णकार, मधुसूदन सोनी, डॉ शांति स्वर्णकार, सर्किल अध्यक्ष राजकुमार , युवा अध्यक्ष अनिल सोनी, पंडित नीलमणि गौरहा, शशिभूषण सोनी, दिलीप सोनी, सिद्धनाथ सोनी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए । प्रभु की असीम कृपादृष्टि और सत्संग भजन-कीर्तन से परिपूर्ण आध्यात्मिक आयोजन ने मन को अभिभूत कर दिया ।
श्रीजगन्नाथ जी का महाप्रसाद,केवल एक थाली भोजन नहीं बल्कि श्रद्धा भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं !
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