Sunday, June 8, 2025

Korba – कोलफील्ड्स विस्तार की भेंट चढ़ा मलगांव, कुछ ही घंटों में गांव हुआ इतिहास

कोरबा – सिस्टम के आगे न किसी की पहले कभी चली है और न कभी चलने वाली है। कोरबा जिले के मलगांव का अस्तित्व शुक्रवार को कुछ ही घंटों में हमेशा के लिए समाप्त हो गया। यहां तक साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदान को बढ़ाना है। इसके लिए काफी समय से भू-अर्जन की प्रक्रिया प्रशासन के द्वारा चलाई जा रही थी।

खबर के अनुसार दो बसों में फोर्स भरकर आई। उसने स्थानीय सुरक्षा का सहयोग लिया। बताया गया कि बहुत समय से मलगांव को लेकर गतिरोध स्थिति बनी हुई थी। बार-बार ब्लास्टिंग की वजह से लोगों की परेशानी कायम थी। बहुत पहले काफी लोगों ने खतरों को देखते हुए यहां से दूरी बना ली थी। जबकि कुछ लोग पूरे दमखम के साथ संघर्ष कर रहे थे। 8 से 10 परिवार यहां पर बचे थे और आखिरकार उन्हें भी जबरिया हटा दिया गया। पूरी सख्ती से यहां तोडफ़ोड़ के साथ डोजरिंग की खबर मिली। अब ऐसा कोई इंसान नहीं बचा है जो यह कह सके कि कभी पहले यहां मलगांव हुआ करता था।

इसी गांव के रहने वाले राजेश जायसवाल ने इस कार्यवाही को पूरी तरह से गलत ठहराते हुए न्याय की मांग की है। उन्होंने सरकार तक अपनी बात पहुंचाई है। इसमें कहा गया कि बिना नोटिस, पूर्व सूचना और मुआवजा दिए बिना उनके पैतृक मकान के साथ-साथ यहां पर लगाए गए पेड़-पौधों को समाप्त कर दिया गया। तर्क दिया गया कि उनके पिता उदय नारायण जायसवाल ने पर्यावरण संरक्षण के लिए जा बगीचा लगाया गया था उसे भी नष्ट करने का काम किया गया। राजेश ने पुनर्वास और विस्थापन नियमों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि अगर 7 दिन के भीतर इस पूरे मामले में न्याय नहीं मिला तो वे परिवार सहित आत्मदाह करने को मजबूर होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन के साथ-साथ प्रशासन की होगी।

लोगों को परेशान करने और घुटने टेकने को मजबूर करने के अंतर्गत मलगांव में कार्रवाई से एक दिन पहले यानि 29 मई को बिजली गुल कर दी गई। उद्देश्य यह था कि गर्मी के मौसम में जनता को परेशान किया जाए ताकि वह यहां काबिज रहने का इरादा दिमाग से निकाल दे। लंबे समय से परेशानी झेल रहे लोगों ने फिर भी हार नहीं मानी। लेकिन अंतत: तानाशाही के चक्कर में उन्हें बेमन से अपने पैतृक गांव को छोडऩा पड़ा। इससे पहले गांव के स्कूल को एसईसीएल प्रबंधन ने बुलडोज करा दिया। यहां के शिक्षक और बच्चों को झाबर स्कूल में शिफ्ट किया गया है। इसके बाद से ही बखेड़ा मचा।

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