सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (28 फरवरी) को लोकसभा की अमरावती सीट से सांसद नवनीत कौर राणा के जाति प्रमाण पत्र से जुड़े केस में फैसला सुरक्षित रख लिया। नवनीत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने के लिए याचिका लगाई थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जून 2021 को कहा था कि नवनीत ने मोची जाति का प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी से हासिल किया था। कोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह सिख-चमार जाति से थीं। हाईकोर्ट ने उनपर 2 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया था।
केस जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की बेंच में था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सांसद राणा के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने 6 महीने में सर्टिफिकेट सरेंडर करने कहा था
दरअसल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से समर्थित प्राप्त राणा ने 2019 में अमरावती से जीत हासिल की थी। उन्होंने दावा किया था कि वह मोची जाति से आती हैं। बॉम्बे HC ने राणा को 6 हफ्ते के अंदर जाति प्रमाणपत्र सरेंडर करने कहा था। साथ ही महाराष्ट्र कानूनी सेवा प्राधिकरण को 2 लाख रुपए का जुर्माना देने को कहा था।
हाईकोर्ट का कहना था कि अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र लेने के लिए मोची जाति से जुड़े होने का राणा का दावा फर्जी था। कोर्ट ने कहा था कि ये जानते हुए भी कि वे उस जाति से नहीं है, उन्होंने SC कैटेगरी के उम्मीदवार मिलने वाले लाभ हासिल करने के इरादे से फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था।