Monday, July 7, 2025

बांके-बिहारी के पुजारियों में विवाद, गेट नहीं खुले:शरद पूर्णिमा पर बंद दरवाजे में की आरती, 45 मिनट खड़े रहे एक लाख भक्त

भक्तों की भीड़ से भरी बांके बिहारी के आसपास की गलियां।देश के सबसे प्रमुख मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में शनिवार को पुजारियों के बीच विवाद हो गया। इसके चलते मंदिर का गेट ही नहीं खोला गया। करीब एक लाख भक्त 45 मिनट तक बाहर खड़े दर्शन का इंतजार करते रहे। ये भक्त देशभर से शरद पूर्णिमा के दिन भगवान की श्रृंगार भोग आरती में शामिल होने आए थे। हालांकि, एक पुजारी ने बंद दरवाजे में ही गर्भगृह में भगवान की आरती कर दी।

श्रृंगार भोग की आरती के बाद जब राजभोग आरती के पुजारी आए तो उन्होंने देखा कि भगवान गर्भगृह में ही विराजमान हैं। इसके बाद उन्होंने प्रबंधक को सूचना दी। 45 मिनट तक गेट न खुलने का पता चलते ही मंदिर प्रबंधन में हड़कंप मच गया। फिर भगवान को जगमोहन में लाकर विराजमान किया गया और मंदिर के पट खोले गए। मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा से भास्कर से कहा कि जिस सेवायत यानी पुजारी ने ऐसा किया है। उनसे बातचीत की जा रही है।

भक्तों की भीड़ से भरी बांके बिहारी के आसपास की गलियां।
भक्तों की भीड़ से भरी बांके बिहारी के आसपास की गलियां।

दरअसल, शरद पूर्णिमा के दिन परंपरा है कि पुजारी बांके बिहारी भगवान को गर्भगृह से बाहर जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर विराजमान करते हैं। जगमोहन, मंदिर में एक स्थान है जो कि गर्भगृह के बाहर है। भीड़ के दिन यानी प्रमुख त्योहारों पर भगवान यहीं पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। क्योंकि, गर्भगृह में जगह बेहद कम है।

मथुरा मुंसिफ कोर्ट के आदेशों का नहीं हुआ पालन…जानते हैं पूरा विवाद

शरद पूर्णिमा पर बांके बिहारी जी को श्रृंगार भोग और राज भोग सेवा के लिए जगमोहन में विराजमान न करवाने की एप्लिकेशन दाखिल की गई। शयन भोग सेवा के अधिकारी रसिक बिहारी गोस्वामी की एप्लिकेशन शुक्रवार को मंदिर प्रशासक और मथुरा मुंसिफ कोर्ट ने खारिज कर दी। शरद पूर्णिमा के दिन देश-विदेश से आए भक्तों की सुविधा को देखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि श्रृंगार भोग और राज भोग के समय भी भगवान को हर साल की तरह इस बार भी गर्भगृह से निकालकर जगमोहन में विराजमान करना होगा।

आदेश में कहा गया है कि जिस तरह 2018 से यह परंपरा शुरू हुई कि शरद पूर्णिया ने दिन सुबह के समय गर्भगृह से बाहर जगमोहन में बांके बिहारी को विराजमान किया जाता है और शयन भोग के बाद उन्हें गर्भगृह ले जाता है। उसी तरह इस बार भी जगमोहन में विराजमान किया जाए।

कोर्ट ने सुबह और दोपहर बांके बिहारी को जगमोहन में विराजमान करने का आदेश तो दिया। लेकिन, श्रृंगार भोग के पुजारी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने गर्भगृह में पूजा-पाठ किया। फिर चले गए। इसके बाद राज भोग के पुजारी आए। उन्होंने देखा कि भगवान गर्भगृह में ही हैं तो उन्हें जगमोहन में विराजमान कराया।

मंदिर प्रबंधक बोले- मामले पर पुजारी से बात की जा रही
बांके बिहारी मंदिर में शरद पूर्णिमा पर जगमोहन में भगवान को विराजमान कराकर दर्शन कराने को लेकर चल रहे विवाद पर मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा से भास्कर ने बात की। मुनीश शर्मा ने बताया कि पुजारी से बात की जा रही है।

मंदिर में आज शयन भोग के समय भी पट खुलने को लेकर संशय है। क्योंकि ग्रहण के कारण दोपहर 12 से 3 बजे तक शयन भोग के दर्शन होंगे। इस कारण शयन भोग की सेवा भी श्रृंगार भोग की सेवा करने वाले पुजारी ही करेंगे।

सुबह पांच बजे बांके बिहारी जी का दर्शन करने के लिए करीब एक लाख भक्त पहुंचे थे।
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