कोरबा : कोरबा से धरमजयगढ़ होते हुए रांची को जोडऩे वाले मार्ग पर वाहनों की व्यस्त आवाजाही बनी हुई है। कोरकोमा में इसी मार्ग पर पांच दशक पुराने पुल का दाहिना सिरा धंस गया है। जोखिम लेकर चालक गाडिय़ों को यहां से पार कर रहे हैं। ऐसे में हादसे का डर बना हुआ है। लोग चाहते हैं कि शीघ्रता से यहां पर सुधार कार्य कराया जाए।
विकासखंड कोरबा और लोक निर्माण विभाग कोरबा सब डिविजन के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में पुल का निर्माण 1973 में वन विभाग ने कराया था। क्षेत्र के लोगों ने इस बारे में पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यह विभिन्न ग्रामों के लोगों को आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने का एक रास्ता था, इसलिए उस समय वन विभाग से पहल कर इस काम को कराया गया।
वर्तमान में यह मार्ग लोक निर्माण विभाग के अधीन है। कोरकोमा के रामनगर क्षेत्र में तालाब नजदीक इस पुल की स्थिति है। काफी समय से इसके संकरेपन को लेकर समस्याएं होती रही और जरूरत पर जोर दिया गया कि इसका चौड़ीकरण कराने के साथ मजबूत भी किया जाए। इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
बारिश के सीजन में दबाव की स्थिति के कारण पुल के किनारे का एक हिस्सा जमींदोज हो गया है। सावधानीवश आसपास में बांस की बल्लियां लगाकर सुरक्षा घेरा की व्यवस्था की गई ताकि दिन और रात में वाहन चालकों सहित लोगों को सतर्क किया जा सके। इन सबके बावजूद डर तो कायम है ही। बताया गया कि इस रास्ते से कोरबा-रांची के लिए स्लीपर बसें चल रही हैं। इसके अलावा धरमजयगढ़, पत्थलगांव, जशपुर, सीतापुर और विभिन्न क्षेत्रों के लिए 20 से अधिक बसों का संचालन हो रहा है।
सब्जी और दूसरी वस्तुओं के परिवहन के लिए पिकअप व अन्य मालवाहक के साथ-साथ बड़ी गाडिय़ां भी यहां से गुजरती हैं। दावा किया गया कि लगभग 500 वाहनों की आवाजाही हर रोज होती है। ऐसे में मौजूदा स्थिति में खतरे ज्यादा हैं। इससे पहले कि किसी प्रकार की अनहोनी हो, व्यवस्था को ठीक करने पर ध्यान दिया जाए।