मुंबई। सहकारिता क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले श्री सतीश मराठे ने 1 फरवरी 2025 को अपने जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर लिए। सहकार भारती के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने सहकारिता के विकास और मजबूती के लिए अद्वितीय योगदान दिया है।
सहकारिता का आधार स्तंभ
“बिना संस्कार नहीं सहकार, बिना सहकार नहीं उद्धार” – इस विचारधारा के साथ कार्य कर रही सहकार भारती आज देशभर के 28 राज्यों और 650 से अधिक जिला केंद्रों तक अपनी पहुंच बना चुकी है। इस संगठन के विकास में श्री सतीश मराठे का विशेष योगदान रहा है।
उन्होंने सहकार भारती में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में कार्य शुरू किया और अपनी कर्मठता के बल पर संगठन के महाराष्ट्र महामंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय संरक्षक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
एक समर्थ नेतृत्वकर्ता
सहकारिता क्षेत्र में श्री मराठे के उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निदेशक पद पर दूसरी बार नियुक्त किया गया। यह उनकी नीतिगत समझ, दूरदर्शिता और सहकारी बैंकों के विकास के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
उनकी व्यावसायिक यात्रा बैंक ऑफ इंडिया से शुरू हुई, जहां उन्होंने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की गहरी समझ विकसित की। इसके बाद उन्होंने डोंबिवली नागरी सहकारी बैंक और जनकल्याण सहकारी बैंक में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।