देश में लगातार बारिश और बाढ़ से आ रहे भूस्खलन के सिलसिले नहीं थम रहे हैं। भारी बारिश और बाढ़ ने लोगों के जीवन को अस्त-वयस्त कर दिया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ने महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के इरशालवाडी में बुधवार को हुए भूस्खलन के सिलसिले में अपना तलाश और बचाव अभियान बंद कर दिया है।
रायगढ़ के प्रभारी मंत्री उदय सामंत कहा कि किसी को भी भूस्खलन स्थल पर भीड़ नहीं लगानी चाहिए। वहां सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी गई है। लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है। सामंत ने कहा कि एनडीआरएफ कर्मियों समेत 1100 से अधिक लोग बचाव और राहत कार्य में लगे थे जो चार दिनों तक चला।
गांव में 228 लोग थे, 57 के बारे में जानकारी नहीं
जिला प्रशासन, अन्य संबंधित अधिकारियों और स्थानीय लोगों के साथ परामर्श कर बचाव अभियान बंद करने का निर्णय लिया गया है। गांव में 228 लोग थे। मुंबई से सटे रायगढ़ की एक दुर्गम पहाड़ी पर स्थित इरशालवाड़ी गांव लैंडस्लाइड के बाद 27 के शव मिले हैं। इनमें 57 के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जिन्हें अब मृत मान लिया गया है। इसके साथ ही मरने वालों की संख्या अब बढ़कर 85 हो गई है। इन मौतों में फायर ब्रिगेड का एक कर्मचारी भी शामिल है, जिसकी रेस्क्यू के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वहीं कुछ परिवारों को एक मंदिर में शरण दी गई है। शरण पाने वालों में 144 लोग हैं।
बता दें कि इरशालगढ़ गांव पर 19 जुलाई की रात करीब ग्यारह बजे पहाड़ टूटकर गिरा और पूरा गांव लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया था। इसके बाद यहां लगातार 5 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में हजार के करीब रेस्क्यूकर्मी जुटे हुए थे, जिसमें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ इलाके के सैंकड़ों पर्वतारोही भी शामिल थे।