चिकित्सा कर्म करना सिर्फ अर्थोपार्जन तक ही सीमित नहीं है। उससे कहीं अधिक संतुष्टि और प्रसन्नता तब होती है जब मरीज़ या मरीज़ के परिजन आकर बताते हैं, की आपके इलाज से लाभ हुआ। तब लगता है की ईश्वर ने हमको चिकित्सक बनाकर हम पर बहुत बड़ा उपकार कीया है। जिसके लिये हम उन्हें जितना धन्यवाद दें कम ही होगा।
ऐसा ही कुछ कल मेरे साथ हुआ जब दीपका निवासी श्री प्रकाश चंद गोपाल जी अपने पुत्र श्री शेखर गोपाल जी को मेरे पास लेकर आये, तब उन्होंने बताया की आज से 14 वर्ष पूर्व वो अपनी धर्मपत्नी श्रीमती मीना गोपाल जी की चिकित्सा के लिये आये थे उन्होंने बताया की उनकी धर्मपत्नी को वात रोग से संबंधित गंभीर समस्या थी। जिसके कारण वो कुछ भी काम करने, चलने फिरने में भी सक्षम नहीं थी। जिनका बहुत जगह इलाज कराने के बाद भी कुछ लाभ नहीं हो पाया था। जो आपकी चिकित्सा से मात्र 2.5 महीने में ही पूरी तरह ठीक हो गई।तब 2010 से आज 2024 तक उससे संबंधित कोई समस्या उनको नहीं हुई और वो सभी काम करने में, चलने फिरने में, वजनी काम करने में, वजन उठाने में भी पूरी तरह सक्षम है और स्वस्थ है।
यह चमत्कार मेरा नहीं आयुर्वेद का है। आयुर्वेद जो संपूर्ण जगत के प्राणीयों के लिये हैं, जो ऋषियों एवं आचार्यो की देन है, जो शाश्वत है, नित्य है, विशुध्द और निरापद है। हम उस विधा के अनुयायी हैं, शिष्य हैं, चिकित्सक हैं। और इस पर हमें घमंड नहीं अपितु गर्व है की हम उस ऋषि परंपरा के संवाहक हैं।
श्री प्रकाश चंद गोपाल जी का संबंधित वीडियो जैसा उन्होंने बताया।