बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश डी नाइक का कहना है कि मीडिया के बारे में लोगों की धारणा बन गई है कि वह मामलों को प्रचारित करने में बहुत ज्यादा इनवॉल्व हो जाता है। इतना ही नहीं, किसी केस के कोर्ट में पहुंचने से पहले ही फैसला भी दे देता है, लेकिन कोई भी जज मीडिया से प्रभावित नहीं होता।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस पीडी नाइक शनिवार 7 अक्टूबर को गोवा के मडगांव में जीआर करे कॉलेज ऑफ लॉ में हुए एक सेमिनार में बोल रहे थे।
जज का काम सबूतों को देखना, मीडिया ट्रायल नहीं
जस्टिस नाइक बोले- आम जनता का कहना है कि मीडिया आजकल किसी सेलिब्रिटी के अपराध को प्रचारित करने या उस पर केस से पहले ही अपना फैसला सुनाने में व्यस्त रहता है। कभी-कभी तो कोर्ट में जाने से पहले गवाहों का इंटरव्यू लिया जाता है। लेकिन मीडिया इस हद तक जाने का अधिकार नहीं है।
जस्टिस नाइक ने बताया- अक्सर ऐसा कहा जाता है कि मीडिया ट्रायल का प्रॉसीक्यूशन पर असर पड़ रहा है। लेकिन जहां तक मेरा सवाल है, मैं हमेशा फैक्ट पर ही चलता हूं। हर जज को इसे अपनाना चाहिए कि कोर्ट के सामने क्या सबूत रखे गए हैं। साथ ही प्रॉसीक्यूशन ने किसी मामले को कैसे साबित किया। जजों को मीडिया से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
वकालत के दिनों के किस्से भी सुनाए
जस्टिस नाइक मूल रूप से गोवा के रहने वाले हैं। बाद में काम के लिए वे मुंबई चले गए। उन्होंने अपने वकालत के दिनों को याद करते हुए बताया कि जब उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की थी, तब वकालत के पेशे को महत्व नहीं दिया जाता था। तब लोग सोचते थे कि यह फायदेमंद नहीं है।
जस्टिस नाइक ने बताया कि उन दिनों उनके घर पर टेलीफोन नहीं था, इसलिए वे अपने मुवक्किलों को कॉल करने के लिए पब्लिक बूथ पर जाते थे। इसी बीच एक बार बूथ के एक अटेंडेंट ने उनसे पूछा था कि इस पेशे में तुम्हें मिलता क्या है? यही कानूनी पेशे के बारे में जनता की धारणा है।