Monday, July 7, 2025

Puja tips: पूजा करते समय मंदिर में घंटी क्यों बजाते हैं, जानिए इसके पीछे का कारण

हिन्दू धर्म में पूजा पाठ में शंख और घंटी जरूर बजाई जाती है. मंदिरों में तो बड़ी-बड़ी घंटियां होती हैं, जिसे श्रद्धालु भगवान के दर्शन करते समय जरूर बजाते हैं. आपको बता दें कि घंटी का वर्णन स्कंद पुराण, अग्नि पुराण और तंत्र ग्रंथ किया गया है. माना जाता है घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती. इसके अलावा घंटी से जुड़ी और क्या रहस्य हैं, आइए जानते हैं आगे आर्टिकल में …

घंटी से जुड़ी क्या है मान्यता – 

  1. घंटी बजाने से आपका पाप ग्रह केतु का अशुभ प्रभाव दूर करता है. इसलिए विशेषज्ञ अक्सर राहु के कमजोर होने पर घंटी बजाने की सलाह देते हैं.
  2. इसके अलावा घंटी और नाद को ब्रह्मा के रूप में माना गया है. इससे आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. वहीं, घंटी बजाने से वातावरण शुद्ध होता है. इसकी ध्ववि आपके अंदर शक्ति और ऊर्जा का संचार करती है.
  3. इससे दिमाग शांत होता है. यह ध्यान लगाने में भी मदद करती है. यह मेडिटेशन में आपके दिमाग को फोकस मोड में लाता है. इसलिए पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है, ताकि पूजा-पाठ में आपका मन लगा रहे.
  4. घंटी को चेतना जगाने वाला यंत्र भी कहा जाता है. घंटी की ध्वनि से शरीर के सातों चक्र (chakras) जागृत होते हैं, जिससे शरीर का संतुलन बना रहता है. आपको बता दें कि घंटी सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है. यही कारण है इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में मुख्य रूप से किया जाता है.
  5. आपको बता दें कि घंटी चार प्रकार की होती हैं – गरुण घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और चौथा घंटा. गरुड़ घंटी छोटी होती है, जिसे हाथ से बजाया जा सकता है. द्वार घंटी मंदिरों के द्वार पर लटकी हुई होती है. यह बड़ी और छोटी दोनों तरह की हो सकती है. हाथ घंटी पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है. इसको लकड़ी के एक गद्दे से बजाते हैं, जबकि घंटा बहुत बड़ा होता है. इसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक जा सकती है.
  6. हम घरों में जिस घंटी का इस्तेमाल करते हैं, वो गरुड़ घंटी होती है. मान्यता है घंटी पर बना गरुड़ पक्षी भक्तों का संदेश विष्णु भगवान तक पहुंचाता है.
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