Tuesday, October 14, 2025

अमलीपाली ग्राम पंचायत: स्वच्छता, पर्यावरण और जनभागीदारी की मिसाल

जांजगीर-चांपा 9 अक्टूबर 2025/ जांजगीर-चांपा जिला के छोटे-छोटे जंगलों और पहाड़ियों से घिरा एक छोटा-सा गांव है अमलीपाली। पहली नज़र में यह आम गांव जैसा लगता है, लेकिन इसकी पहचान कुछ खास है। यहां के लोग बेहद सरल और सीधे-सादे स्वभाव के हैं। अधिकतर लोग खेती-किसानी करते हैं और खास बात यह है कि लगभग साठ से सत्तर प्रतिशत किसान जैविक खेती पर भरोसा करते हैं। वे अपने अनुभव से जैविक खाद और जैविक कीटनाशक तैयार करते हैं और यही परंपरा गांव की मिट्टी और फसलों को खास बनाती है।
साल 2007 अमलीपाली के लिए ऐतिहासिक रहा। इसी वर्ष इसे जिले का पहला निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया गया। इसके बाद 2 अक्टूबर 2014 को जब पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई तो अमलीपाली ने एक बार फिर सबसे आगे रहकर जनपद का पहला ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त पंचायत बनने का गौरव हासिल किया। गांव के हर घर में बने शौचालय का परिवारजन नियमित उपयोग करने लगे और आसपास के पंचायतों को भी प्रेरित करने लगे। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में जब ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की बारी आई, तो बड़ी चुनौती सामने आई। पंचायत में जब महिलाओं के जरिए घर-घर कचरा संग्रहण की बात हुई, तो लोगों ने कड़ा विरोध किया। कोई भी अपने घर की महिला को कचरा उठाने भेजने के लिए तैयार नहीं था। यह सोच सबसे बड़ी बाधा थी।
इसी बीच पंचायत की सजग महिला प्रभा देवी ने आगे आकर महिला समूहों को जागरूक किया। लगातार बैठकों का आयोजन किया गया और महिलाओं को समझाया गया कि यह सिर्फ कचरा उठाना नहीं, बल्कि गांव को साफ और स्वस्थ बनाना है। सोनडीह गांव के एक महिला समूह ने साहस दिखाया और घर-घर जाकर कचरा संग्रहण की शुरुआत की। शुरूआत में उन्हें तानों और विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वे डटी रहीं। धीरे-धीरे माहौल बदलने लगा। सड़कें और गलियां पहले से ज्यादा साफ दिखने लगीं, लोग खुद आगे आकर सहयोग देने लगे। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने दस रुपये मासिक स्वच्छता शुल्क तय कर दिया, ताकि समूह का उत्साह बढ़े। समय बदला और वही महिला समूह, जिसने कचरा संग्रहण की पहल की थी, उसकी अध्यक्ष आज ग्राम पंचायत की सरपंच बनी। यह सिर्फ स्वच्छता की जीत नहीं थी, बल्कि नारी सशक्तिकरण की भी मिसाल थी। अमलीपाली गांव ने सिर्फ सफाई पर ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान दिया। पंचायत ने प्लास्टिक पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित किया। हर पंद्रह दिन में ग्रामीण श्रमदान कर सफाई अभियान चलाते हैं और अब तक लगभग चार हजार पौधे गांव में लगाए जा चुके हैं।
आज अमलीपाली एक आदर्श बन चुका है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के फेस 2 में ग्राम पंचायत को खुले में कचरा मुक्त करने के उद्देश्य को लेकर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्य का शुभारंभ किया गया। जिसके अंतर्गत ग्राम पंचायत क्षेत्र में जल संग्रहण एवं ग्रे-वाटर के उचित निपटान के लिये पंचायतों में सभी हैण्डपंपों के पास सोख्ता गड्ढा का निर्माण किया गया है, एवं इसके साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अंतर्गत ग्राम पंचायत में वर्मी कम्पोस्ट टेंक एवं जगह जगह नाडेफ टेंक निर्माण किया गया जिससे ग्रामीणों को जैविक खाद बनाने में आसानी हो सके।यह साबित करता है कि जागरूकता, एकजुटता और महिलाओं की शक्ति जब मिलती है तो कोई भी मुश्किल राह आसान बन जाती है। अमलीपाली की यह कहानी बताती है कि छोटे-से गांव भी बड़े बदलाव की पहचान बन सकते हैं।

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