Wednesday, October 22, 2025

**करतला जनपद पंचायत में मनरेगा निर्माण कार्यों में कमीशनखोरी का आरोप, उच्च स्तरीय जांच की मांग**

**करतला, 08 अक्टूबर 2024:** जनपद पंचायत करतला के मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत चल रहे निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के गंभीर आरोप सामने आए हैं। ग्रामीणों और संबंधित आवेदकों द्वारा आरोप लगाया गया है कि जनपद पंचायत और जिला स्तर के अधिकारियों ने निर्माण कार्यों की स्वीकृति और भुगतान प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन किया है।

**कमीशनखोरी के आरोप:**

मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में किए जा रहे सामग्री मूलक कार्यों में प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने और इन कार्यों के भुगतान के लिए कथित तौर पर 8% और 7% राशि कमीशन के रूप में ली गई है। प्रभावित ग्राम पंचायतों में **कथरीमल, कोटमेर, पीडिया, और फरसवानी** शामिल हैं, जहां **रिटर्निंग वाल निर्माण कार्य** और **पुलिया निर्माण कार्य** जैसी परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि इन कार्यों के स्वीकृति आदेश जारी करने और भुगतान के बदले जिला और जनपद स्तर के अधिकारियों द्वारा कमीशन लिया गया है।

**आवेदकों की मांग:**

आवेदकों ने इस भ्रष्टाचार की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि चूंकि इस मामले में मनरेगा विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं, इसलिए जांच निष्पक्ष और प्रभावी रूप से होनी चाहिए। आवेदकों ने सुझाव दिया है कि इस मामले की जांच अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।

**पंचनामा और जांच रिपोर्ट:**

ग्रामीणों और आवेदकों ने इस भ्रष्टाचार की वास्तविकता की जांच के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों से पंचनामा लेकर जांच प्रतिवेदन की भी मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते जांच नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार और बढ़ सकता है, जिससे मनरेगा की योजनाओं का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा, और गरीब श्रमिकों को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा।

**आगे की कार्रवाई:**

अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन और उच्च अधिकारियों द्वारा इस मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं। अगर सही समय पर उचित जांच नहीं हुई, तो ग्रामीणों और आवेदकों ने इस मामले को उच्च न्यायालय और राज्य सरकार तक ले जाने की भी योजना बनाई है।

मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास कार्यक्रम में भ्रष्टाचार के आरोपों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह प्रशासनिक तंत्र की जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सकें।

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