छत्तीसगढ़ के किसानों के खेत का रकबा काटकर उनका धान खरीदा गया । वर्ष 2020 से किसानों को अपने रकबे के हिसाब से धान बेचने की सुविधा नहीं मिली थी। इसका मुख्य कारण गिरदावरी के दौरान राजस्व व कृषि विभाग के मैदानी अमले ने खेत के रकबे से मेढ़ का रकबा घटा दिया था। मेढ़ का सीमांकन कर उतना रकबा घाटे के बाद फसल वाले हिस्से का सीमांकन और सत्यापन के बाद एक एक खेत का रकबा निर्धारण किया था। इससे जिले के शत प्रतिशत किसानों के खेत के रकबे में कटौती हो गई थी। इसके चलते अपने हिस्से का धान समर्थन मूल्य पर किसान नहीं बेच पाए थे। चूंकि कोरबा के विधायक जयसिंह अग्रवाल राजस्व विभाग से हैं, इसलिए किसानों के साथ किए गए अन्याय में उनका भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो कोरबा की जनता व किसान उनके इस अन्याय को हमेशा याद रखेंगे।
1 एकड़ में 15 कुंटल धान खरीदने वाली भूपेश सरकार अब प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदने का झूठा वादा किसानों से कर रही है। *( अगर ऐसा है तो आने वाले 1 नवंबर.2023 से पिछले सालों के काटे गए रकबे का भी पूर्ण भुगतान किसानों को किया जाए। व 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से इसी 1 नवंबर से धान खरीदी की जाए )* एवं 2 साल का बाकी बोनस भी यथाशीघ्र किसानों को किया जाए। मालूम हो केंद्र की सरकार नरेंद्र मोदी ने किसानों को एक-एक दाना खरीदने का आश्वासन दिया है। जहाँ धान खरीदी का 80 फ़ीसदी पैसा केंद्र सरकार से आता है, तो वहीं भूपेश सरकार इसमें अपनी खुद की वाहवाही लूटने में लगी हुई हैं। जो किसानों के साथ धोखा है।
इस बार छत्तीसगढ़ की जनता व किसान कांग्रेस की चिकनी चुपड़ी बातों में नहीं आने वाले व भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार छत्तीसगढ़ में बनेगी। और कोरबा विधानसभा से कोरबा के जनप्रिय नेता लखन देवांगन जी को कमल छाप पर बटन दबाकर भारी बहुमत से विजई बनाएगी।