महिला आरक्षण बिल पर आज यानी 21 सितंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी। 20 सितंबर को लोकसभा में बिल पास हुआ। विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि 2 वोट इसके खिलाफ पड़े। AIMIM पार्टी के दो सांसदों असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील ने विरोध में वोट डाले। वोटिंग पर्ची के जरिए हुई। लोकसभा में ये बिल दो तिहाई बहुमत से पास हुआ।
पीएम मोदी ने बुधवार देर रात X (पहले टि्वटर) पर पोस्ट करते हुए सभी को धन्यवाद दिया। पीएम ने लिखा – लोकसभा में संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने पर खुशी हुई। मैं सभी दलों के सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक के समर्थन में वोट किया।
पीएम ने आगे लिखा, नारी शक्ति वंदन अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून है जो महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा देगा और हमारी राजनीतिक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
बिल पर चर्चा में 60 सांसदों ने अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने कहा कि OBC आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है। इस पर अमित शाह ने कहा कि यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाओं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा।
अब पढ़िए महिला आरक्षण बिल को लेकर सदन में 7 बड़े नेताओं के बयान…
अमित शाह: महिला आरक्षण बिल मेरी पार्टी के लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं

इस बिल के जरिए एक तिहाई सीटें मातृशक्ति के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इस देश की बेटी न केवल नीतियों के अंदर अपना हिस्सा पाएगी, बल्कि नीति निर्धारण में भी अपने पद को सुरक्षित करेगी। कुछ पार्टियों के लिए ये बिल पॉलिटिकल एजेंडा हो सकता है, लेकिन हमारी पार्टी और हमारे पीएम मोदी के लिए ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है। पीएम मोदी के लिए मान्यता का सवाल है।
ये बिल पहले 4 बार पेश हो चुका है, लेकिन तब ऐसा क्या हुआ कि ये पास नहीं हो पाया। देवगौड़ा से लेकर मनमोहन सिंह तक ने कोशिश की, लेकिन ये पास नहीं हुआ। आखिर ऐसी कौन सी वजह थी, जो इसे पास नहीं होने दिया गया?
शाह ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि इनकी समझ है कि देश सेक्रेटरी चलाते हैं, लेकिन मेरी समझ है कि देश सरकार चलाती है। संविधान कहता है कि देश की नीतियों का निर्धारण इस देश की कैबिनेट करती है। अगर आपको आंकड़े चाहिए तो मैं बताता हूं। बीजेपी की सरकार में 29 फीसदी यानी 85 सांसद ओबीसी कैटेगरी के है। 29 मंत्री भी OBC कैटेगरी के हैं। बीजेपी के OBC एमएलए 1358 में से 365 यानी 27 फीसदी हैं। ये सभी ओबीसी का राग अलापने वालों से ज्यादा है। बीजेपी के OBC एमएलसी 163 में से 65 हैं। यानी 40 फीसदी है, जबकि विपक्ष के लोग तो 33 फीसदी की बात करते हैं।