दिल्ली/लंदन: चीन और रूस के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। लंदन स्थित प्रतिष्ठित थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) द्वारा विश्लेषण किए गए 800 पन्नों के लीक दस्तावेज़ों से पता चला है कि रूस, चीन की सेना (PLA) को ताइवान पर संभावित हवाई हमले की तैयारी में हथियार और प्रशिक्षण देकर मदद कर रहा है।
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इस खुलासे ने ताइवान और पश्चिमी देशों में खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि यह चीन की हमलावर क्षमताओं को एक नया आयाम दे सकता है।
लीक दस्तावेज़ों के मुख्य बिंदु:
- सैन्य उपकरणों की बिक्री: लीक हुए दस्तावेज़ों से संकेत मिलता है कि रूस ने चीन को लाइट एम्फीबियस वाहन (BMD-4M), सेल्फ-प्रोपेल्ड एंटी-टैंक गन और एयरबोर्न आर्मर्ड पर्सनल कैरियर (BTR-MDM) जैसे प्रमुख सैन्य उपकरण बेचने पर सहमति जताई है।
- हवाई हमले की तैयारी: RUSI के विश्लेषण के अनुसार, ये विशिष्ट उपकरण चीन को पैराशूटिंग और हवाई लैंडिंग क्षमताओं को तेज़ी से बढ़ाने में मदद करेंगे। ताइवान के विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मदद चीन को ताइवान के तटों पर कब्जा करने के बाद भीतरी इलाकों के हवाई अड्डों और बंदरगाहों को तेज़ी से सुरक्षित करने में सक्षम बना सकती है।
- प्रशिक्षण और तकनीक: रूस चीनी पैराट्रूपर्स (Paratroopers) के एक बटालियन को ट्रेनिंग भी देगा, साथ ही अपनी युद्ध-सिद्ध कमांड और कंट्रोल प्रक्रियाओं का हस्तांतरण भी करेगा। चूँकि चीन के पास हवाई युद्ध का अनुभव कम है, रूस की यह मदद उसकी तैयारियों को 10-15 साल तक आगे बढ़ा सकती है।
- भू-राजनीतिक मकसद: विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों से अलग-थलग पड़ा रूस, चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। इसके जरिए वह न केवल आर्थिक मदद चाहता है, बल्कि ताइवान संघर्ष को भड़काकर अमेरिका और पश्चिमी देशों का ध्यान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की ओर भटकाना चाहता है।
ये लीक दस्तावेज़ ‘ब्लैक मून’ (Black Moon) नामक हैक्टिविस्ट समूह द्वारा प्राप्त किए गए हैं। चीन और रूस दोनों ने अभी तक इन दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता पर कोई टिप्पणी नहीं की है।