खालिस्तान का एक नक्शा इन दिनों चर्चा में है। हैरान और परेशान करने वाली बात ये है कि इस नक्शे में राजस्थान के भी 11 जिलों को शामिल किया गया है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या खालिस्तान को लेकर चल रही गतिविधियों से राजस्थान को भी सतर्क होने की जरूरत है। क्या कनाडा और खालिस्तानी गतिविधियों के तार राजस्थान से भी जुड़े हैं? क्या 28 साल पहले की तरह एक बार फिर खालिस्तानी आतंकियों की बुरी नजर राजस्थान पर तो नहीं?
इस नक्शे में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली सहित उत्तरप्रदेश और राजस्थान के हिस्सों को दिखाया गया है।
राजस्थान की बात करें तो नक्शे में पंजाब से सटे श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, बीकानेर, फलोदी, जोधपुर, अलवर, खैरथल, भरतपुर, डीग, बूंदी और कोटा को दिखाया गया है।
हालांकि हाल ही में बने अनूपगढ़, फलोदी, खैरथल और डीग जिले को अलग से मेंशन नहीं किया गया है।
खास बात ये है कि 2 साल पहले भी ये नक्शा सामने आया था। अब कनाडा में खालिस्तान मूवमेंट बढ़ने के बाद एक बार फिर ये नक्शा चर्चा में है।
कभी खालिस्तानी आतंक से निपटने के लिए राजस्थान ने बनाई थी एटीएस
राजस्थान में पुलिस महानिदेशक रहे बी. एल. सोनी ने भास्कर को बताया कि 1990-92 के बीच पंजाब में खालिस्तानी आतंक चरम पर था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने 15 फरवरी 1992 को एसपी एंटी टेरेरिस्ट ऑपरेशन राजस्थान (कैम्प श्रीगंगानगर) पोस्ट बनाई थी। इसका ऑफिस श्रीगंगानगर में था और इसका पहला एसपी मुझे ही लगाया गया था।
जयपुर से वाहन, संसाधन, फोर्स, हथियार आदि श्रीगंगानगर भेजे गए। बाद में पंजाब में खालिस्तानी आतंक के खात्मे के साथ ही यह पोस्ट और यह कैम्प ऑफिस मर्ज हो गए। इसके बाद राजस्थान में एटीएस (एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाएड) बनाई गई।
तब भी नक्शे में दिखाते थे सरहदी जिले
सोनी का कहना है कि खालिस्तानी आतंकी उस दौर में भी राजस्थान के सरहदी जिलों को अपने नक्शे में दिखाते थे। लेकिन अब तो बूंदी, कोटा, जोधपुर, अलवर व भरतपुर जैसे जिलों को खालिस्तान के नक्शे में दिखाया जा रहा है। इन जिलों को उस दौर के खालिस्तानी नक्शे में नहीं दिखाया गया था।