Friday, January 17, 2025

एक्चुअली सर…और फिर ISRO कंट्रोल रूम में गूंजे ठहाके, चंद्रयान-3 के सफल लॉन्च के बाद का VIDEO आया सामने

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देश के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के सफल लॉन्च पर चारों तरफ खुशी की लहर है। वहीं, इस मौके पर श्रीहरिकोटा में ISRO कंट्रोल रूम का अलग ही नजारा दिखा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज LVM3-M4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे मून मिशन-‘चंद्रयान-3’ को सफलतापूर्वक लॉन्‍च किया। जैसे ही लॉन्‍चर मॉड्यूल और चंद्रयान-3 अलग हुए, पूरा कंट्रोल रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसरो के साइंटिस्ट एक-दूसरे को बधाई देने लगे।

प्रोजेक्ट डायरेक्टर की खुशी देखते बनी

‘चंद्रयान-3’ के सफल लॉन्च ने अभियान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल और इसरो चीफ एस सोमनाथ को भावुक कर दिया। प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल जब मिशन के बारे में बताने लगे तो वे खुशी के मारे कुछ भी बोल नहीं पा रहे थे। उन्होंने अपने सहयोगियों को धन्यवाद देते हुए बात शुरू की, लेकिन पूरी नहीं कर पाए। इसके बाद वहां मौजूद इसरो चीफ ने मौके की नजाकत देखते हुए माइक को संभाला। उन्होंने कहा कि अभी वक्त कम है। मिशन से जुड़ी डिटेल बाद में शेयर करेंगे। इसके बाद दोनों ने ठहाका लगाया।

https://twitter.com/ANI/status/1679787684162850816?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1679787684162850816%7Ctwgr%5E4f994fb6170db242f3668c57d63f28d8973288b2%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.indiatv.in%2Findia%2Fnational%2Fchandrayaan-3-successfully-launched-watch-video-of-scientists-look-so-happy-laughed-in-isro-control-room-2023-07-14-974558

चंद्रयान-3 है चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन?

इससे पहले ISRO 2008 में ‘चंद्रयान-1’ और 2019 में ‘चंद्रयान-2’ लॉन्च कर चुका है। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था। चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे। चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं, सिर्फ लैंडर और रोवर हैं। इसरो ने इस बार भी लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का ‘प्रज्ञान’ रखा है। चंद्रयान-2 में भी लैंडर और रोवर के यही नाम थे। चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन बताया जा रहा है। इसका मकसद भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। अगर इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है, तो भारत ऐसी कामयाबी हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।

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