Tuesday, July 8, 2025

CG Election 2023: कभी चुनौती था बस्तर में निर्वाचन कर्मियों को भेजना, दूर हुआ नक्सल भय, रात में घने जंगलों से नहीं गुजरेंगे मतदान दल

बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों सड़क और पुल-पुलिया बन जाने तथा नक्सलियों के प्रभाव में आई कमी से इस बार विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्रों तक पहुंचने मतदान दलों को कष्ट नहीं सहना पड़ेगा। जिले में आने वाले 760 मतदान केंद्राें में इस बार एक भी मतदान केंद्र ऐसा नहीं हैं, जहां चुनाव कराने के लिए दो दिन पहले मतदान दलों की रवानगी की स्थिति बन रही हो। हालांकि 33 मतदान केंद्राें को सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अब तक हुए चार विधानसभा चुनावों में जगदलपुर और चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक मतदान केंद्र ऐसे होते थे, जहां मतदान दलों को मतदान तिथि से दो दिन पहले भेजना पड़ता था। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव के समय तो दूरस्थ अंदरूनी क्षेत्रों में स्थित इन मतदान केंद्रों तक मतदान दलों को पहुंचाने में प्रशासन को काफी पापड़ बेलना पड़ा था। तब मतदान दलों को घने जंगलों से होकर आधी रात को नक्सलियों को चकमा देते हुए पूर्व घोषित मार्ग की बदले अंतिम समय में परिवर्तित मार्ग तय कर भेजा गया था। नक्सली दहशत के बीच जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के कोलेंग, मुंडागढ़, छिंदगुर, चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के हर्राकाडर, अमलीधार, सतसपुर, चंदेला आदि मतदान केंद्रों में घनें जंगली मार्ग से रात के अंधेरे में काफी दूरी पैदल चलकर पहुंचना पड़ता था।

2018 के चुनाव में काेलेंग, मुंडागढ़ और छिंदगुर के मतदान दलों को दो दिन पहले हेलीकाप्टर में कोलेंग सीआरपीएफ कैंप में उतारा गया था। इस बार वैसी स्थिति नहीं होगी और जिले के सभी 760 मतदान केंद्रों के लिए मतदान दल एक दिन पहले की रवाना किए जाएंगे।

मतदान दलों को भेजने ऐसी होती है कार्ययोजना

मतदान दलों की रवानगी के लिए तीन स्तर की कार्ययोजना होती है। श्रेणी पी-थ्री में ऐसे मतदान दलों को रखा जाता है जिन्हें मतदान तिथि से तीन दिन पहले भेजा जाता है। ये दल अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित सुरक्षा बल के कैंप में ठहराए जाते हैं। जहां से मतदान तिथि को भारी सुरक्षा बल के साथ दलों को मतदान केंद्र तक पहुंचाया जाता है। श्रेणी पी-टू में रखे जाने वाले दलों को मतदान तिथि से दो दिन पहले भेजा जाता है। इन्हें भी सुरक्षा कैंप में रखा जाता है। श्रेणी पी-वन में अधिकांश मतदान होते हैं जिनकी रवानगी मतदान के एक दिन पहले मतदान केंद्रों के लिए की जाती है।

बस्तर जिले में इस बार विधानसभा चुनाव के लिए सभी 760 मतदान दलों को पी-वन की श्रेणी में रखा गया है। चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि जिले में कोई भी मतदान दल ऐसा नहीं हैं जहां वाहन से नहीं पहुंचा जा सकता। पिछले पांच सालों में अंदरूनी क्षेत्रों तक सड़कें और पुल पुलियों के बनने से आवागमन सहज हो गया है। जिसका लाभ मिलेगा। दूसरी ओर दक्षिण बस्तर में दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर जिले के आज भी कुछ मतदान दलों को पी-टू और पी-थ्री की श्रेणी में रखा गया है लेकिन मध्य बस्तर इस समस्या से मुक्त हो गया है।

यह है मतदान केंद्राें की स्थिति

– जिले में मतदान केंद्रों की कुल संख्या- 760

– सामान्य मतदान केंद्र- 363

– संवेदनशील मतदान केंद्र-70

– राजनीतिक संवेदनशील- 283

– अति संवेदनशील- 33

कर्मचारियों को आज भी

चुनाव के दौरान घनें जंगलों से होकर दो से लेकर 35 किलोमीटर तक का पैदल सफर करने वाले कुछ कर्मचारियों से चर्चा करने पर वे संस्मरण सुनाते हुए दहशत भरी कहानी बताई। 2008 के विधानसभा चुनाव के समय चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में इंद्रावती नदी को पार कर मारडूम से 35 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान दल लोहंडीगुड़ा ब्लाक के अमलीधार पहुंचे थे। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि उस समय वापसी में जब उनका दल पैदल लौट रहा था तक बिंता घाटी के नीचे बम ब्लास्ट में एक जवान उनकी आंखों के सामने बलिदान हो गया था। इस कर्मचारी का कहना है कि अच्छी बात है कि इस बार सभी दलों की रवानगी एक दिन पहले होगी और घनें जंगलों से होकर ज्यादा दूर पैदल नहीं चलना पड़ेगा।

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