Tuesday, July 8, 2025

Chandrayaaan 3 Landing: इस वजह से लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तारीख हुई तय, अब मुट्ठी मेंं होगा चांद

चंद्रयान 3 मिशन पर ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया की भी नजर टिकी है. 14 जुलाई को चंद्रयान 3 की लांचिंग के करीब 25 दिन बाद रूस ने अपने लूना-25 को लांच किया था लेकिन लैंडिंग से पहले वो क्रैश हो गया. उस हादसे के बाद 2019 चंद्रयान 2 मिशन की याद आ गई जब चांद की सतह पर सॉफ्ट की जगह हार्ड लैंडिंग हुई थी. इन सबके बीच हर एक शख्स को उम्मीद है कि इस दफा चांद पर इसरो बिना किसी बाधा के सॉप्ट लैंडिंग कराने में कामयाब होगा. अब यहां आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि 23 अगस्त की तारीख और शाम 6 बजकर 4 मिनट का ही चुनाव क्यों किया गया. इसरो के मुताबिक विक्रम लैंडर की लैंडिंग में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगर किसी तरह की दिक्कत आई उस हालात में भी हमारे पास प्लान बी तैयार है. यहां पर हम 23 अगस्त की तारीख और समय के चुनाव के बारे में बताएंगे.

23 अगस्त के पीछे ये हैं खास वजह

– विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद सौर ऊर्जा के जरिए अपनी गतिविधि को आगे बढ़ाएगा.

– चांद पर 14 दिन तक रात और 14 दिन उजाला रहता है. अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दिन की जगह पर रात में उतरते तो काम करना मुश्किल होता.

– सटीक गणना के बाद इसरो के वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि साउथ पोल पर सूरज की पर्याप्त रोशनी रहेगी. इससे ना सिर्फ लैंडिंग में आसानी होगी बल्कि प्रज्ञान रोवर सही तरीके से काम कर सकेगा.

– चांद पर इस समय रात है और 22 अगस्त से उजाला हो चुका है. 23 अगस्त से लेकर 5 सितंबर तक उजाला रहेगा और उसका फायदा यह होगा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दोनों को सूरज से ऊर्जा मिलती रहेगी.

दक्षिणी ध्रुव पर  माइनस 230 डिग्री तापमान

इसरो का कहना है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर माइनस 230 डिग्री तापमान रहता है. कड़ाके की ठंड में विक्रम और प्रज्ञान के लिए काम करना मुश्किल होगा लिहाजा 23 अगस्त की तारीख का चुनाव सोच समझ कर किया गया.

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