Tuesday, July 8, 2025

चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की पहली तस्वीर भेजी:अब चांद से सबसे कम दूरी 170 Km और सबसे ज्यादा दूरी 4313 Km, 23 अगस्त को लैंडिंग

इसरो ने रविवार 6 अगस्त को रात करीब 11 बजे चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई। यान अब चंद्रमा के 170 किमी x 4313 किमी की ऑर्बिट में है। यानी चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा है जिसमें उसकी चांद से सबसे कम दूरी 170 Km और सबसे ज्यादा दूरी 4313 Km है।

ऑर्बिट बदलने के लिए चंद्रयान के इंजन कुछ देर के लिए फायर किए गए। इसरो ने बताया कि अब कक्षा को और कम करने का अगला ऑपरेशन 9 अगस्त 2023 को 13:00 से 14:00 बजे के बीच किया जाएगा। इससे पहले चंद्रयान 164 Km x 18,074 Km की ऑर्बिट में घूम रहा था।

22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 6 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई। यान अब चंद्रमा के 170 किमी x 4313 किमी की ऑर्बिट में है।
22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 6 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई। यान अब चंद्रमा के 170 किमी x 4313 किमी की ऑर्बिट में है।

5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था चंद्रयान
22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान ने 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। चंद्रयान के कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थी। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया है। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।

यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके, इसके लिए उसकी स्पीड कम की गई। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी।

इसरो ने चंद्रयान पर लगे कैमरों से ली गई तस्वीरों का एक वीडियो बनाकर शेयर किया है। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।
इसरो ने चंद्रयान पर लगे कैमरों से ली गई तस्वीरों का एक वीडियो बनाकर शेयर किया है। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।

मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है
मिशन की जानकारी देते हुए इसरो ने X पोस्ट में चंद्रयान के भेजे मैसेज को लिखा था, ‘मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है।’ इसरो ने ये भी बताया था कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है।’ 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान को कुल 4 बार अपनी ऑर्बिट कम करनी है। वो रविवार को एक बार ऑर्बिट कम कर चुका है।

थ्रस्टर तब फायर किए जब ऑर्बिट में चंद्रमा के सबसे करीब था चंद्रयान
इसरो ने बताया था कि पेरिल्यून में रेट्रो-बर्निंग का कमांड मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX), ISTRAC, बेंगलुरु से दिया गया था।

  • पेरिल्यून यानी वह पॉइंट जिस पर चंद्र कक्षा में एक यान चंद्रमा के सबसे करीब होता है।
  • रेट्रो-बर्निंग यान के थ्रस्टर को अपोजिट डायरेक्शन में फायर करने को कहा जाता है।
  • यान की स्पीड धीमी करने के लिए अपोजिट डायरेक्शन में थ्रस्टर फायर किए जाते हैं।
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