जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। चौथे दिन बुधवार 9 अगस्त को याचिकाकर्ता मुज्जादार इकबाल खान की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम सुबह 11 बजकर 25 मिनट से जिरह कर रहे हैं। इससे पहले तीन दिन 8, 3 और 2 अगस्त को एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें दी थी।
सुब्रमण्यम ने कहा कि विलय के समय जम्मू-कश्मीर किसी अन्य राज्य की तरह नहीं था। उसका अपना संविधान था। हमारे संविधान में विधानसभा और संविधान सभा दोनों को मान्यता प्राप्त है। मूल ढांचा दोनों के संविधान से निकाला जाएगा। डॉ. अंबेडकर ने संविधान के संघीय होने और राज्यों को विशेष अधिकार की बात कही थी।’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास अनकंट्रोल्ड पावर नहीं है। आर्टिकल 370 के खंड 1 के तहत शक्ति का उद्देश्य आपसी समझ के सिद्धांत पर आधारित है।
जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच यह व्यवस्था संघवाद का एक समझौता थी। संघवाद एक अलग तरह का सामाजिक अनुबंध है। 370 इस संबंध का ही एक उदाहरण है। इस संघीय सिद्धांत को अनुच्छेद 370 के अंतर्गत ही पढ़ा जाना चाहिए। इसे निरस्त नहीं किया जा सकता है।
धारा 370 संविधान के प्रोविजन का एप्लीकेशन है। इस पर CJI ने कहा कि हमारे संविधान के चिंतन में जो एकमात्र दस्तावेज है, वह संविधान ही है।