जांजगीर-चांपा । निराला साहित्य मंडल के तत्वावधान में आयोजित साहित्य श्री कीर्तिशेष पंडित मोहनलाल बाजपेयी (वरिष्ठ एवं प्रबुद्ध साहित्यकार ) निराला साहित्य मंडल के संस्थापक सदस्य की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि का कार्यक्रम डां चरण दास महंत के मुख्य आतिथ्य में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया । इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विधायक जांजगीर-चांपा व्यास नारायण कश्यप, नगरपालिका अध्यक्ष चांपा प्रदीप कुमार नामदेव, पूर्व नपाध्यक्ष जय कुमार थवाईत, राजेश कुमार अग्रवाल, ब्लांक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुनील साधवानी, पूर्व नपा उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा, प्रिट मीडिया के शशिभूषण सोनी, शैलेष कुमार शर्मा, नागेंद्र गुप्ता,चुड़ामणि राठौर, दिनेश कुमार शर्मा, शैलेष शर्मा, गोपाल मित्तल, डॉ संतोष यादव,भागवत साहू,रामभरोस यादव,सुधीर बाजपेयी गोपाल सोनी,दीपक बरेठ तथा डीबी वेंचर्स के प्रोप्राइटर धीरेन्द्र बाजपेयी सहित अन्य लोगों ने संबोधित करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी । प्रेस क्लब चांपा अध्यक्ष डॉ कुलवंत सिंह सलूजा, शैलेष कुमार शर्मा,डॉ जतिंदर पाल सिंह, विक्रम तिवारी, शशिभूषण सोनी ने मोहनलाल बाजपेयी जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । यह कार्यक्रम दिनांक – 30 दिसंबर 2025 को सायंकाल 4.00 बजे से 7 बजें तक डी बी तनिष्क सिवनी चौक चांपा के सभागार में आयोजित किया गया ।
धीरेन्द्र बाजपेयी के मन में अपने पिता जी के प्रति अपार श्रद्धा हैं – डॉ चरणदास महंत
डॉ चरणदास महंत नेता प्रतिपक्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा ने कहा कि सबको अपने पिताजी की स्मृति आती हैं । धीरेन्द्र बाजपेयी जी को भी अपने मां और पिता पंडित मोहनलाल बाजपेयी का दुलार रहा हैं , इसलिए उनकी आंखों में आंसू आना स्वाभाविक हैं । धीरेन्द्र के मन में पिताजी के प्रति अपार श्रद्धा हैं । हम लोग मरे भी तो हमारे बाल बच्चें इसी तरह याद करते रहे । हमारा बेटा छाती तानकर वर्ष में एक बार याद करते रहे ।
आज समाज में विद्वेष का वातावरण फैल रहा हैं- डॉ महंत
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए डॉ महंत ने कहा कि आज समाज में विद्वेष का वातावरण फैल रहा हैं उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए । हम-सब लोग यघपि प्रेम से रहते हैं लेकिन आज राजनैतिक जीवन नरक बन गया हैं । हम अपने लिए नहीं बल्कि दुसरे लोगों के लिए ही जीते हैं। इसीलिए रोज हम मेहनत करते रहते हैं । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने किया वही आभार धीरेन्द्र बाजपेयी ने किया ।
बाजपेयी जी साहित्यिक व्यक्ति थे – नपाध्यक्ष नामदेव
नगरपालिका परिषद चांपा के अध्यक्ष प्रदीप नामदेव ने अपने सारगर्भित संदेश में बाजपेयी को साहित्यिक और राजनैतिक व्यक्ति कहा और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता था। जब-तक वे जीवित रहे उनका आशीष मिलता रहा । पूर्व नपाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के एक सिपाही के रुप में बाजपेयी जी समर्पित रहे। उन्होंने कहा कि निराला साहित्य मंडल के अध्यक्ष का दायित्व उन्होंने दिया था उसी दायित्व का निर्वहन मैं आज भी कर रहा हूं । पूर्व नपाध्यक्ष जय थवाईत ने भी पंडित जी को कांग्रेस का एक निष्ठावान समर्पित कार्यकर्ता बताया। जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री गोपाल सोनी ने बताया कि सादगी, सरलता, ईमानदारी और सहजता के प्रतीक पुरुष थे बाजपेयी जी। पूर्व नपा उपाध्यक्ष पुरूषोत्तम शर्मा ने तैल चित्र पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि इस सभा में शामिल होने का । उन्होंने कहा कि चांपा सेवा संस्थान की ओर से आयोजित यात्रा में वे मेरे सहयात्री थे। मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा था कि आप चांपा के हनुमान जी हैं ।
दादाजी अपने मित्रों से साहित्यिक चर्चा करते थे – परिमल
स्वर्गीय बाजपेयी के भतीजे सुधीर बाजपेयी ने कहा कि मेरे चाचा जी ने जो कार्य किया हैं वह अनुकरणीय हैं, वही पोता परिमल बाजपेयी ने अपने दादाजी का स्मरण करते हुए कहा कि दादाजी अपने मित्रों से अक्सर सभा ही नहीं बल्कि साहित्यिक परिचर्चा करते थे । पूर्व पार्षद नागेंद्र गुप्ता ने कहा कि जैसा बाजपेयी जी का चित्र हैं,वैसा ही इनका व्यवहार था । निराला साहित्य मंडल जो आज चलाए मान हैं उनकी नींव बाजपेयी जी ने ही रखी थी । अधिवक्ता श्रीमति रीतू – लक्ष्मी नारायण तिवारी ने उनके श्रीचरणों श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए प्रणाम की । ब्लांक कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष सुनील साधवानी ने कहा कि बाजपेयी जी के जाने के बाद एक मजबूत स्तंभ ढह गया, जब-तक जीवित रहे कांग्रेस के प्रति निष्ठावान रहे।
पूज्य बाबूजी बाजपेयी जी को विनम्र श्रद्धा-सुमन।
कोसा, कांसा और कंचन की सुगंधित माटी औंर संस्कारों को जन-जन तक पहुचानें , अपनी आयुर्वेदिक दवाओं की सभी विधाओं को जानने-समझने और निराला साहित्य मंड़ल, चांपा से आजीवन जुड़कर ज्ञान की ज्योति जलाने वाले साहित्यश्री स्व मोहनलाल बाजपेजी का वैसे तो इस दुनिया से चले जाना ही हम-सबके लिए पीड़ा दायक हैं । शशिभूषण सोनी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ब्राम्हण कुल में जन्में , मेरे पिताश्री स्मृति शेष रामचरण सोनी के परम मित्र और सचरित्र व्यक्ति थे । अक्सर हमारे सोनार मुहल्लें वाले शशि ज्वेलर्स में पिताश्री से शारीरिक स्वस्थता के चलते भी मिलने-जुलने आते थे । उनके संस्कारों की शिक्षा का प्रभाव मुझ पर भी पड़ा हैं ।
परम आदरणीय बाबूजी मोहनलाल बाजपेयी अपने कर्मशील जीवन से सतत् 88 सन [1934-1912 ] वर्ष तक भरपूर जीवन जीकर के इस दुनिया से सदा-सदा के लिए विदा हो गए । जीवन के अंँत तक निराला साहित्य मंड़ल,चांपा की संस्था को जीवंत रखें । आज 13 वीं पुण्य तिथि पर उस विराट व्यक्तित्व के प्रति स्नेह, श्रद्धा और आत्मीय भाव से भरकर पूज्य बाबूजी के श्रीचरणों में नमन कर हार्दिक श्रद्धांंजलि अर्पित करता हूं ।
जीवन के आखिरी पल में उनके साथ रहा – धीरेन्द्र बाजपेयी
रुंधे गले से अपने अश्रु पोंछते हुए डीबी वैंचर के संचालक धीरेन्द्र बाजपेयी ने कहा कि मेरे पिता जी राजनीति, साहित्य, व्यापार और चिकित्सकीय कार्य में में दक्ष थे। 88 वर्ष की उम्र में भी हर काम में आगे रहते थे । उम्र-दराज होते हुए भी लेखनशैली निरंतर जारी रही । जीवन के आखिरी पल में मैं उनके साथ रहा, कैसे व्यापार करना है। नीयत, लगन और जैसे सद्व्यवहार की सीख उनसे सीखा ।



